भोपाल। Ram Mandir Ayodhya अयोध्या में श्रीराम लला प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इस महोत्सव को लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है।
एमपी भी राममय हो चुका है। घरों, शहर, दुकानों, बाजार और मंदिरों को भगवा पताकाओं से सजाया जा रहा है। इसके साथ ही मंदिरों में विशेष अनुष्ठान भी किए जा रहे हैं।
एमपी क्यों राममय हो रहा है, यहां श्रीराम के भक्तों का तांता देखने को क्यों मिल रहा है। इसका प्रमुख कारण प्रभु का एमपी में विचरण करना भी है।
प्रभु श्रीराम एमपी के कई इलाकों में अपने वनवास के दौरान रुके थे। जिसके प्रमाण आज भी प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ते हैं।
ऐसा ही इतिहास (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम के वनवास के दौरान एमपी के चित्रकूट से भी जुड़ा हुआ है।
जहां (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम ने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ साढ़े ग्यारह साल वनवास बिताया था। बता दें कि प्रभु श्रीराम यहां अपने वनवास के दौरान सबसे ज्यादा समय तक रुके थे।
उन्होंने 14 वर्ष के वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह साल चित्रकूट में बिताया था।
प्रभु श्रीराम नहीं शंकर से चित्रकूट की पहचान
बता दें कि (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम वनवास के 14 वर्ष में से सबसे ज्यादा साढ़ें ग्यारह साल चित्रकूट में रुके थे।
इसके बाद भी चित्रकूट वनवास स्थली प्रभु श्रीराम की नहीं, बल्कि भगवान भोले शंकर की प्रकट स्थली के लिए जानी जाती है।
चित्रकूट में चार शिवलिंग
एमपी के चित्रकूट में श्री मत्तगजेंन्द्रनाथ मंदिर में चार शिवलिंग स्थापित हैं। इस मंदिर के पुजारी के अनुसार यहां ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर को मंदाकिनी नदी के किनारे प्रसन्न करने के लिए 108 कुंडीय यज्ञ किया था।
इस 108 कुंडीय यज्ञ के दौरान पूर्णाहुति के अंतिम समय में भगवान शंकर प्रकट हुए। भोलेनाथ साथ में 12 अंगुल का शिवलिंग लेकर प्रकट हुए। ब्रह्मा जी ने इस शिवलिंग को मत्तागजेंद्रनाथ का नाम देकर स्थापित किया।
भ्राता लक्ष्मण से बोले प्रभु श्रीराम…
पुजारी ने बताया कि (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम सतयुग में वनवास के लिए निकले तो प्रयागराज, श्रृंगेश्वर से होकर चित्रकूट की सीमा में आए थे।
तब प्रभु ने अपने भ्राता लक्ष्मण से कहा था कि जाओ और भगवान शंकर से आज्ञा लेकर आओ कि हमें कहां वनवास करना हैं।
शिव ने तांडव मुद्रा में लक्ष्मण को समझया…
अपने भ्राता श्रीराम की आज्ञा का पालन करते हुए लक्ष्मण सीधे रामघाट के मत्तगजेंद्रनाथ मंदिर पहुंचे। इससे पहले ही भगवान शंकर जान चुके थे कि (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम यहां आ चुके हैं।
भगवान शिव उनके आगमन की सूचना से पहले ही तांडव करने लगे। भगवान शंकर ने तांडव की मुद्रा में ही लक्ष्मण को समझाया।
उन्होंने लक्ष्मण को तांडव करके बताया कि उन्हें नाभ्या और जिंव्हा पर संतुलन बनाए रखना होगा तभी वनवास सफल हो पाएगा।
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प्रभु श्रीराम ने बिताए साढ़े ग्यारह साल
भगवान शंकर के द्वारा बताए गए वचन के अनुरूप (Ram Mandir Ayodhya) प्रभु श्रीराम, सीता माता और लक्ष्मण चित्रकूट में निवास करने लगे और उन्होंने यहां अपने 14 वर्ष के वनवास में से साढ़े ग्यारह साल का वनवास एमपी के चित्रकूट में ही बिताया।
बता दें कि अयोध्या में श्रीराम लला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर चित्रकूट में भी तैयारियां जोरो पर चल रही है।
यहां के करीब 384 से अधिक मंदिरों में धार्मिक आयोजनों के साथ ही अनुष्ठान भी होंगे।
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