Aaj Ka Mudda: चुनावी मौसम में वादों की बारिश शुरू हो गई है। वादों का पिटारा लेकर कांग्रेस कमलनाथ संदेश यात्रा लेकर निकल गई है तो इधर बीजेपी भी पूरी तैयारी में है और जून में ही तमाम बड़े नेताओं के दौरे होने वाले हैं। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के वादों और घोषणाओं पर भी तीखे सवाल दाग रही हैं। कुल मिलाकर मतदाता के दिलों तक पहुंचने की हर कवायद शुरू हो चुकी है।
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तूफान बिपरजॉय ने गुजरात के तट को हिट किया है। एक तूफान एमपी में भी उठ रहा है और वो है सियासत का तूफान और ये तूफान अपने साथ लाया है वादों और दावों की बारिश। पहली बौछार कांग्रेस की पड़ी है और कमलानाथ संदेश यात्रा निकल पड़ी है तो इधर बीजेपी के भी दिग्गजों की तूफानी तैयारी है। कुल मिलाकर जून का पूरा महिना चक्रवाती रहने वाला है। कांग्रेस का पिछड़ा वर्ग जब कमलनाथ संदेश यात्रा लेकर निकला है तो जाहिर है टारगेट पर पिछड़ों का वोट भी है कि यात्रा का पहला चरण बुंदेलखंड और ग्वालियर संभाग की 25 सीटों से गुजरेगा।
इधर बीजेपी के पास भी पर्याप्त गोला बारूद है और इसका इस्तेमाल भी शुरू हो गया है। बीजेपी ने संदेश यात्रा के बहाने कांग्रेस को हिमाचल और कर्नाटक की याद दिलाई है। बीजेपी का आरोप है कि हिमाचल में पेंशन और कर्नाटक में फ्री बिजली के वायदे चुनावी थे। एक भी वादा कांग्रेस पूरा नहीं कर पाई।
2023 में जिस तरह का घमासान नजर आ रहा है, उसको देख कर कहा जा सकता है कि इस चुनाव में मुद्दे जो भी खड़े हों, लेकिन जीत उसी की होगी जो मतदाता का विश्वास जीतेगा। ऐसे में पार्टियों के बड़े और हवा हावाई वादे उल्टा असर भी दिखा सकते हैं। ऐसे में सावधानी भी जरूरी है यानी जोश के साथ होश की सियासत भी जरूरी है।
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