Bandits Museum in Bhind: मध्य प्रदेश के चंबल (Madhya Pradesh Chambal) का नाम सुनते ही लोगों के मन में बीहड़ के बागियों और डाकुओं का ख्याल आ जाता है। हालांकि अब चंबल के इलाके डाकुओं के आतंक से मुक्त हो चुके हैं, लेकिन यह कैसे संभव हो पाया अब इसकी कहानी भी हर कोई जान सकेगा। इसी के लिए भिंड में डाकुओं का म्यूजियम बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके जरिए लोगों को चंबल में बागियों के खात्मे की कहानी और पुलिस की बहादुरी के किस्सों के बारे में बताया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, डाकुओं का यह म्यूजियम भिंड के मेहगांव थाने की पुरानी इमारत में बनने जा रहा है। भिंड पुलिस इस म्यूजियम को बनाने वाली है। इसमें जनता को डाकुओं के खात्मे की पूरी कहानी बताई जाएगी। इसमें एनकाउंटर और सरेंडर के बाद डाकुओं से मिले हथियारों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। चंबल से डाकुओं के साम्राज्य को किस तरह खत्म किया गया और डाकुओं के इतिहास की जानकारी इस म्यूजियम से आम लोग पा सकेंगे।
संग्रहालय में 80 से ज्यादा कुख्यात बागियों के बारे में बताया जाएगा, जिन्होंने गिरोह बनाकर बीहड़ में राज किया था। म्यूजियम में 1960 से 2011 तक चंबल में सक्रिय रहे डाकुओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी, उनके हथियारों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही उन पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के भी किस्से बताए जाएंगे, जिन्होंने डकैतों के खात्मे में अपना बलिदान दे दिया या फिर उनके समर्पण में अहम भूमिका निभाई।
थाने की इमारत को संग्रहालय में बदलने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। भवन को हेरिटेज लुक में सजाया जा रहा है। संग्रहालय निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड से जुटाई जाएगी। भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के अनुसार, यह संग्रहालय अपराध की दुनिया में जाने वालों को तो कड़ा सबक और समाज की मुख्यधारा में लौटने का संदेश देगा।