एक समय था जब मध्यप्रदेश को डाकूओं का राज्य कहा जाता था। प्रदेश में चंबल के बीहड़ों में ऐसे कई डाकूओं ने जन्म लिया जिन्होंने राज्य ही नहीं देश को हिला के रख दिया। इन्हीं डाकूओं की कड़ी में एक हसीना ऐसी भी थी जिसके सिर पर 77 हत्याएं, 200 अपरहण का आरोप है। जी हां हम बात कर रहे है, चंबल की कुख्यात डाकू सीमा परिहार की। आज हम डाकू सीमा परिहार के बारे में बताएंगे की आखिर इस हसीना ने क्यों उठाई बंदूक, कौन थी वो हसीना, जिसे मिला प्यार में धोखा, कैसे बनी आतंक का दूसरा नाम सीमा परीहार, जानिए….
चंबल के टीवी तक का सफर
जिस उम्र में लड़कियां सजती संवरती है, आपने अच्छे हमसफर के सपने देखती है, लेकिन उस हसीना ने अपनी जवानी की उम्र में अपने हाथों में चूड़ियों की जगह बंदूक थाम ली थी। उसने हथियारों को अपना गहना बना लिया था। सीम परीहार ने तेहर साल की उम्र में ही हथियारों से दोस्ती कर चंबल की रानी बन बैठी थी। एक वक्त था जब सीमा परिहार के नाम से लोग थरथर कांपते थे। सीमा की बंदूक से निकली गोली ने ना जाने कितनों को मौत के घाट उतारा। सीमा परिहार का इतना आतंक था की दूसरे डकैत भी उससे पंगा लेने से डरते थे।
कौन थी सीमा परिहार
सीमा परिहार को हर कोई चंबल की रानी कहता था। लेकिन इस रानी की कहानी कहां से शुरू हुई आइए बताते है… सीमा का जन्म उत्तर प्रदेश के औरेया जिले के एक छोटे से गांव बबाइन में हुआ था। सीमा अपने माता पिता और छह भाई बहनों के साथ रहती थी। सीमा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। बबाइन गांव में सेंगर ठाकुरों का दबदबा था, और इन दबंगों द्वारा सीमा के परिवार को प्रताड़ित किया जाता था। दबंगों द्वारा सीमा के पिता पर बेटियों की शादी करने का दबाव बनाया जाता था। लेकिन उसके पिता नहीं माने तो दबंगों ने परिवार पर ऐसा कहर ढ़हाया की सीमा की जिंदगी को ही बदल के रख दिया।
सीमा को दबंगों ने किया अगवा
वो रात बेहद काली थी। आधी रात का वक्त था, सीमा का परिवार अपने छोटे से घर में सोया हुआ था, तभी आठ-दस लोग जबरन सीमा के घर के अंदर घुस आए। घर में तोड़-फोड़ की और 13 साल की सीमा को जबरदस्ती घर से उठा कर ले गए। सीमा के पिता रोते रहे, सीमा को ना ले जाने की विनती करते रहे, लेकिन वो ना माने। ये चंबल के डाकू लालाराम का गैंग था जो गांव के सेंगर राजपूतों के कहने पर सीमा को चंबल उठा कर ले गया। माता-पिता रोते रहे, लेकिन इस काली रात में उनकी बेटी, उनकी आंखों के सामने ही अगवा हो गई।
सीमा का डाकुओं ने किया रेप
जंगल में सीमा के साथ कई अत्याचार हुए। 13 साल की उम्र में न जाने कितनी बार उसके साथ बलात्कार किया गया। वो सबकुछ सहती रही लेकिन उसे इंतजार था कि शायद उसके पिता उसे यहां से छुड़ा ले जाएंगे। शायद पुलिस उसे आकर बीहड़ के इन डाकुओं क जुल्मों से बचाएगी। दिन बीते, महीने बीते, साल बीते लेकिन कोई न आया। अब सीमा हार मान चुकी थी। वह अपने परिवार को भूल चुकी थी लेकिन एक दिन सीमा को अपने गांव का शख्स मिला जिसने सीमा को पूरी कहानी बताई। शख्स ने सीमा को बताया कि जब डाकू उसे अगवा करके ले गए तो उसका परिवार मदद के लिए पुलिस के पास पहुंचा, लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की। पुलिस ने सीमा के पिता को कहा कि उनकी बेटी को अगवा नहीं किया गया बल्कि वो खुद भाग गई होगी। इतना ही नहीं सीमा के पूरे परिवार को जेल में भी डाल दिया गया, उसके घर की नीलामी कर दी गई। मजबूर पिता अपनी बेटी को बचाने की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने न सुनी। अपने परिवार की ऐसी दुर्दशा सुन सीमा के अंदर बदले की आग जलने लगी। कल तक जो डाकुओं के जुल्मों से परेशान होकर टूट रही थी उसने अब खुद को मजबूत किया और फिर बंदूक उठा ली। सीमा ने ठान लिया वो बदला लेगी अपना और परिवार का।
सीमा के निशाने पर सेंगर खानदान
लालाराम ने ही सीमा को बंदूक चलाना सीखाया, अब वो लालाराम गैंग की एक कुख्यात डाकू बन चुकी थी। 16 साल की उम्र में उसने गांव में ही पहली हत्या को अंजाम दिया। सीमा ने ठान लिया था कि वह सेंगर खानदान को नहीं छोड़ेगी। गांव में आए दिन डकैती, अपहरण और लूटपाट की वारदात होने लगी। जो पहले सीमा परिहार के परिवार को तंग करते थे वो अब सीमा के नाम से खौफ खाने लगे। सीमा ने यहां कई परिवारों के बच्चों का अपहरण किया, फिरौती मांगी और रकम न मिलने पर बच्चों की हत्याएं कर दी। सीमा का आतंक इतना बढ़ चुका था कि पुलिस भी अब सीमा के नाम से खौफ खाने लगी थी। दरअसल सीमा का गैंग हथियारों के लिए पुलिसथानों में धावा बोलता था और पुलिस वालों को मारकर हथियार अपने साथ ले जाता था। सीमा कई पुलिसवालों को मौत के घाट उतार चुकी थी।
प्यार-शादी और धोखा
इसी दौरान लालाराम के गिरोह में एक नया डाकू शामिल हुआ। नाम था निर्भय गुर्जर। बीहड़ के वीरानों में निर्भय और सीमा करीब आने लगे। बेशक सीमा डाकू थी लेकिन जवानी की दहलीज वो कदम रख चुकी थी और इसलिए उसने प्यार की तरफ भी कदम बढ़ाना शुरू किया। थोड़े ही दिनों में निर्भय और सीमा ने शादी कर ली लेकिन ये शादी ज्यादा दिन न चल पाई। सीमा को खबर मिली कि निर्भय गांव में दूसरी लड़कियों के साथ अय्याशी करता है। लड़कियों का रेप करता है। सीमा ने निर्भय को अपने गैंग से हटा दिया। चंद साल चली शादी अब खत्म हो गई थी। एक बार फिर सीमा अकेली थी।
सीमा का आत्मसमर्पण
प्यार में धोखा खाने के बाद सीमा और मजबूत हो गई, चंबल की रानी अब एक मकसद था बस दहशत फैलाना। सीमा के खिलाफ हत्या के 77 मामले दर्ज थे, जबकी 200 मामले अपहरण के थे। इसी दौरान सीमा अपने गैंग के सरगना लालाराम के करीब आने लगी थी। निर्भय से अलग होने के बाद उसने लालाराम से शादी कर ली। दोनों का एक बेटा भी हुआ लेकिन थोड़े समय बाद ही लालाराम पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। लालाराम के मरने के बाद सीमा परिहार का गैंग कमजोर होने लगा। अब सीमा अकेली नहीं थी, एक छोटे बच्चे की जिम्मेदारी उसके ऊपर थी। कभी पुलिस से बचती तो कभी चंबल के दूसरे डाकुओं के गिरोह से खुद और अपने बच्चे को बचाती। इस तरह से परेशान होकर आखिरकार सीमा ने सरेंडर करने का मन बना लिया।
बिग बॉस में बनी कंटेस्टेंट
13 साल में अगवा और फिर 16 साल में हत्यार उठाने वाली सीमा परिहार पर वुंडेड नाम की एक फिल्म भी बनी है जिसमें खुद सीमा ने एक्टिंग की। इसके अलावा वो बिग बॉस के सीजन 4 में भी नज़र आई। कभी बीहड़ में सालों गुजारने वाली सीमा अब बेशक अपने बेटे के साथ नार्मल ज़िंदगी बीता रहीं हो लेकिन 13 साल की उम्र में जो घाव इस लड़की मिले वो ताउम्र भरना मुश्किल है।