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रोचक किस्सा : सरदार पटेल नहीं होते तो मध्यप्रदेश तक होता पाकिस्तान

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deepak
रोचक किस्सा : सरदार पटेल नहीं होते तो मध्यप्रदेश तक होता पाकिस्तान

Sardar Patel Birthday: भारत देश वैसे तो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से आजद हो गया था, लेकिन ब्रिटिस हुकुमत ने तो 18 जुलाई 1947 को ही देश की आजादी का प्रस्ताव पास कर दिया था। एक ओर भारत को मिली आजादी की खुशी पूरे देश में थी तो वही दूसरी ओर भारतीय रियासतों में चिंता बढ़ गई थी। क्योंकि अंग्रेजों ने जो प्रस्ताव पास किया था उसमें कुछ शर्ते रखी थी। प्रस्ताव में रियासतों को दो विकल्प दिए गए थें पहला विकल्प वह था कि वह भारत या पाकिस्तान में से किसी एक का हिस्सा बन सकते है, तो दूसरा विकल्प था कि वह खुद स्वतंत्र रह सकते है। ब्रिटिश हुकुमत के विकल्प को मानते हुए भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खान ने स्वतंत्र रहने का फैसला किया था। नवाब हमीदुल्लाह खान मोहम्मद अली जिन्ना के बेहद करीबी थे। माना जाता है कि नवाब हमीदुल्लाह खान पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहते थें। लेकिन सरदार भाई पटेल के चलते नवाब हमीदुल्लाह खान की एक नहीं चली। आज महान क्रांतिकारी सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती है। पटेल की जयंती के मौके पर हम आपको बताने जा रहे है कि सरदार भाई पटेल ने भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान का सपना तोड़ दिया था।

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दरअसल, अगर उस दौर में सरदार पटेल नहीं होते तो आज मध्यप्रदेश तक पाकिस्तान होता। जी हां यह सच हैं। नवाब हमीदुल्लाह, पाकिस्तान के आका माने जाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी माने जाते थे। नवाब हमीदुल्लाह ने देश की आजादी के समय राजस्थान की जोधपुर, जैसलमेर और मेवाड़ को पाकिस्तान के साथ मिलाने की योजना बनाई थी। इसमें मोहम्मद अली जिन्ना भी उनका साथ देने वाले थे। बताया जाता है कि नवाब हमीदुल्लाह पाकिस्तान के हिस्से में भोपाल और इंदौर को भी लाना चाहते थें लेकिन सरदार पटेल के चलते नवाब हमीदुल्लाह और जिन्ना के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके।

नवाब हमीदुल्लाह ने किया था चौंबर ऑफ प्रिंसेस का गठन

नवाब हमीदुल्लाह खान ने एक चौंबर ऑफ प्रिंसेस का गठन भी किया था, जिसमें कई रियासतों के राजा और नवाब सदस्य थे। यह संगठन भारत-पाकिस्तान की सरकारों पर दबाव बनाना चाहता था ताकि अपनी बात मनवाई जा सके। नवाब हमीदुल्लाह ने जोधपुर के राजा हनुमंत सिंह और जैसलमेर के राजा कुमार गिरधारी सिंह को पाकिस्तान में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा था। जब दोंनो राजाओं ने प्रस्ताव की शर्ते जानना चाही तो नवाब हमीदुल्लाह ने दोनों राजाओं को मोहम्मद अली जिन्ना से मिलवा दिया। राजाओं की जिन्ना से मुलाकात में उन्हों कई छूट और स्वतंत्र रहने की पेशकश की थी। जब दोनों राजाओं की जिन्ना से मुलाकात की खबर पटेल सहाब को लगी तो उन्होंने दोंनों राजाओं से मुलाकात की और भारत में ही रहने को कहा। इसके बाद 10 अगस्त को जोधपुर का भारत में विलय हो गया वही जिन्ना और नवाब हमीदुल्लाह की योजना धरी की धरी रह गई।

भोपाल में हुआ बड़ा प्रदर्शन

जोधपुर रियासत का भारत में विलय होने के बाद नवाब हमीदुल्लाह खान ने भोपाल के स्वतंत्र रहने की घोषणा कर दी। नवाब हमीदुल्लाह ने मंत्रीमंडल का गठन कर चतुरनारायण मालवीय को भोपाल का प्रधानमंत्री बना दिया। सरदार पटेल और वीपी मेनन नवाब पर भारत में शामिल होने का दबाव बना रहे थे। वहीं भोपाल के प्रधानमंत्री चतुर नारायण मालवीय और भोपाल की जनता भी भारत का हिस्सा बनना चाहती थी। दिसंबर 1948 में भोपाल में जरदस्त प्रदर्शन हुआ, कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद नवाब ने मंत्रीमंडल को बर्खास्त कर सत्ता अपने हाथ में ले ली। सत्ता नवाब के हाथों में आने के बाद प्रधानमंत्री चतुर नारायण मालवीय भूख हड़ताल पर बैठ गए। लेकिन भारत सरकार और सरदार पटेल के आगे नवाब को झूकना ही पड़ा और 30 अप्रैल 1949 को भोपाल का भारत में विलय करने के कागजों पर नवाब को हस्ताक्षर करना पड़ा।

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