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हमारा लक्ष्य देश की आजादी के सौ साल होने तक अन्य लोगों के साथ मनकू मरकाम या कलावती कलमे को अंतरिक्षयात्री के रूप में देखने का होना चाहिये। इस लक्ष्य को लेकर जनजाति विज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु भारत सरकार का नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू आदिवासी क्षेत्र में बच्चों के बीच अंतरिक्ष विज्ञान लोकप्रियकरण कार्यक्रम कर रही हैं। इस कार्यक्रम में भारत के इसरो द्वारा गगनयान, चंद्रयान जैसे मिशन को समझाने वे अंतरिक्षयात्री के सूट में बच्चों को अंतरिक्ष की जानकारी दे रही हैं।
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सारिका ने बताया कि इसरो से जुड़े अकुर हॉबी सेंटर अहमदाबाद के डॉ धनंजय रावल ने उन्हेें गगनयान का अंतरिक्षसूट भेंट किया है। इसके द्वारा स्वदेशी विज्ञान उपलब्धियों को आमजन तक रोचक तरीके से पहुंचाने में मदद मिलेगी।/bansal-news/media/post_attachments/wp-content/uploads/2022/11/WhatsApp-Image-2022-11-29-at-2.08.27-PM-859x387.jpeg)
कार्यक्रम में खगोलविज्ञान के तथ्यों जैसे सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, सुपरमून, तारों की बौछार, अपोजीशन, ग्रहों की गति एवं विशेषतायें भी गीतों एवं पोस्टर के माध्यम से बताये जा रहे हैं। कार्यक्रम में बच्चों के पालकों को भी शामिल किया जा रहा है।यह पूरा कार्यक्रम स्वैच्छिक है ।/bansal-news/media/post_attachments/wp-content/uploads/2022/11/WhatsApp-Image-2022-11-29-at-2.08.26-PM-1-764x559.jpeg)
सारिका ने बताया कि शहरी बच्चों को साइंससेंटर उपलब्ध हैं इसके साथ ही बाहर से आने वाले रिसोर्स साइंटिस्ट आमतौर पर शहरों तक ही पहुंच पाते हैं । ऐसी स्थिति में आदिवासी क्षेत्रं जहां आज भी आकाश प्रदूषण से मुक्त है वहां खगोलविज्ञान को समझने तथा समझाने की बेहतर संभावनायें हैं।
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