रीवा। जिले के महामृत्युंजय मंदिर करीब 600 वर्ष पुराना है। इस मंदिर में महामृत्युंजय के रूप में भगवान शिव का सहस्त्र नेत्रों वाला शिवलिंग स्थापित है। माना जाता है कि शिवलिंग पूरे विश्व में अपनी तरह का अनोखा शिवलिंग है। इनके वरदान से असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है भय से निजात मिलती है ऐसा कहा जाता है कि महामृत्युजंय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु टल जाती है और अल्प आयु दीर्घ आयु मे बदल जाती है।
सेंड स्टोन का बना ऐसा शिवलिंग
रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में मौजूद ये शिवलिंग अपने आप में खास है। सेंड स्टोन का बना ऐसा शिवलिंग दुनिया में और कही देखने को नही मिलेगा। माना जाता है कि बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युजंय की अलौकिक शक्ति को भाप लिया था और यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत के किले की स्थापना भी करवाई थी। प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त बेलपत्र, नारियल, धतूरे, मदार के फूल, दूध दही और शहद अर्पित कर इस शिवलिंग की पूजा करते है।
6वी शताब्दी का बना है मंदिर
इस मंदिर के निर्माण का कोई लिखित इतिहास तो मौजूद नही है लेकिन इतिहासकारों की माने तो करीब 6वी शताब्दी में यहां लावन्या व्यापारी अपना डेरा जमाते थे उन्होंने ही इस मन्दिर का निर्माण कराया गया था, बाद में जब बघेल राजवंश यहां आया तो राजा भाव सिंह ने मन्दिर का निर्माण कराया।
देश भर से आते हैं भक्त
देश भर से भक्त दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। सावन माह, महाशिवरात्रि और बंसत पंचमी को तो यहां पर भक्तों का सैलाब उमडता है। दर्शन के लिए घंटो इंतज़ार करना पड़ता है। दर्शन के साथ ही पूरे दिन जलाभिषेक, जाप और हवन चलता रहता है। ऐसी मान्यता है कि महामृत्युंजय की कृपा से भक्तों को मृत्युभय नही रहता और बिगडे काम बन जाते हैं।
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