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हाइलाइट्स
- वर्ल्ड टीचर डे पर महान शिक्षकों का सम्मान
- सुकरात से कलाम तक शिक्षा के प्रेरक उदाहरण
- भारत के तीन गुरुओं ने बदली सोच की धारा
World Teacher's Day: आज वर्ल्ड टीचर डे है। यह दिन हमें सिर्फ अपने स्कूल या कॉलेज के टीचर्स को याद करने का मौका नहीं देता, बल्कि यह बताता है कि इतिहास में ऐसे लोग भी हुए जिन्होंने पढ़ाने के तरीकों से पूरी दुनिया की सोच को बदल दिया। एक अच्छे शिक्षक की पहचान सिर्फ ज्ञान बांटने में नहीं होती, बल्कि उसमें होती है कि वह अपने छात्र को सोचने, सवाल करने और जिंदगी को नए नजरिए से देखने के लिए प्रेरित कर पाए।
आइए जानें भारत सहित दुनिया के ऐसे दस शिक्षकों के बारे में जिन्होंने शिक्षा को महज पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन बना दिया।
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (भारत)
भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान शिक्षक राधाकृष्णन का नाम सबसे पहले आता है। उनकी क्लासरूम में पढ़ाई केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती थी। वह छात्रों को दर्शन, नैतिकता और इंसानियत के मायने सिखाते थे। उनके जन्मदिन पर ही भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। राधाकृष्णन मानते थे कि शिक्षा का असली मकसद इंसान को अच्छा नागरिक और अच्छा इंसान बनाना है।
[caption id="" align="alignnone" width="1237"] डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन[/caption]
- सावित्रीबाई फुले (भारत)
भारत की पहली महिला शिक्षिका कही जाने वाली सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में महिलाओं और निचली जातियों के लिए स्कूल खोला। उस दौर में लड़कियों को शिक्षा देना गुनाह माना जाता था, लेकिन सावित्रीबाई ने समाज की रूढ़ियों से लड़ते हुए स्कूल चलाया। उनके साहस और समर्पण ने भारत में महिला शिक्षा की नींव रखी।
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सावित्रीबाई फुले[/caption]
- डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (भारत)
भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की पहचान सिर्फ वैज्ञानिक के तौर पर नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक शिक्षक के रूप में भी होती है। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने युवाओं के साथ संवाद बनाए रखा। उनका मानना था कि देश का भविष्य क्लासरूम में तय होता है। उनकी किताबें और लेक्चर आज भी लाखों युवाओं को सपना देखने और उसे सच करने की ताकत देते हैं।
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डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम[/caption]
- सुकरात (यूनान)
पश्चिमी दर्शन के जनक कहे जाने वाले सुकरात ने शिक्षा को सवाल पूछने की कला बना दिया। उन्होंने कभी किताबें नहीं लिखीं, लेकिन उनका सोक्रेटिक मेथड यानी सवाल-जवाब का तरीका आज भी दुनिया के सबसे बड़े शिक्षण मॉडल्स में गिना जाता है। वह मानते थे कि सच्चा ज्ञान वही है जो इंसान अपने भीतर खोजे।
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सुकरात[/caption]
- कन्फ्यूशियस (चीन)
2,500 साल पहले चीन में कन्फ्यूशियस ने शिक्षा को समाज का सबसे मजबूत स्तंभ बनाया। उनका मानना था कि एक अच्छा समाज बनाने के लिए अच्छे शिक्षक और अच्छे विद्यार्थी जरूरी हैं। उन्होंने अनुशासन, नैतिकता और परंपराओं के जरिए शिक्षा का ऐसा मॉडल दिया जिसने पूरी एशिया की संस्कृति को आकार दिया।
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कन्फ्यूशियस[/caption]
- मारिया मोंटेसरी (इटली)
बच्चों को पढ़ाने का तरीका बदलने का श्रेय मारिया मोंटेसरी को जाता है। उनका मोंटेसरी मेथड आज दुनिया के हजारों स्कूलों में अपनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चे अपने अनुभव से सीखते हैं और शिक्षक को उन्हें सिर्फ दिशा दिखानी चाहिए। उनकी सोच ने शुरुआती शिक्षा को पूरी तरह से नया चेहरा दिया।
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मारिया मोंटेसरी[/caption]
- जॉन डेवी (अमेरिका)
अमेरिकी दार्शनिक और शिक्षक जॉन डेवी ने ‘learning by doing’ का कॉन्सेप्ट दिया। उनका मानना था कि शिक्षा को किताबों में कैद नहीं किया जा सकता। बच्चों को प्रयोग, खेल और अनुभव के जरिए सीखने देना चाहिए। यह विचार आज की प्रैक्टिकल शिक्षा का आधार है।
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जॉन डेवी[/caption]
- ऐनी सुलिवन (अमेरिका)
हेलन केलर की शिक्षिका ऐनी सुलिवन को अक्सर मिरेकल वर्कर कहा जाता है। एक बच्ची जो देख नहीं सकती थी, सुन नहीं सकती थी और बोल नहीं सकती थी, उसे उन्होंने शिक्षा देकर लेखक, कार्यकर्ता और वक्ता बना दिया। ऐनी सुलिवन ने दिखा दिया कि सच्चा शिक्षक असंभव को भी संभव बना सकता है।
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ऐनी सुलिवन[/caption]
- अरस्तू (यूनान)
अरस्तू को पश्चिमी दुनिया का सबसे प्रभावशाली शिक्षक माना जाता है। उन्होंने विज्ञान, राजनीति, साहित्य और दर्शन जैसे कई विषयों में शिक्षा दी। सिकंदर महान जैसे शिष्य उनकी कक्षा से निकले। उनका मानना था कि शिक्षा का मकसद सिर्फ नौकरी पाना नहीं, बल्कि जीवन को समझना और बेहतर बनाना है।.
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अरस्तू[/caption]
- फ्रेडरिक फ्रॉबेल (जर्मनी)
फ्रॉबेल को किंडरगार्टन का जनक कहा जाता है। उन्होंने बच्चों के लिए खेल-खेल में पढ़ाई का ऐसा तरीका निकाला जिसने पूरी दुनिया की शिक्षा पद्धति बदल दी। उनका मानना था कि बच्चा खेलते-खेलते दुनिया और रिश्तों को समझता है, इसलिए शिक्षा को बोझ नहीं, आनंद होना चाहिए।
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फ्रेडरिक फ्रॉबेल[/caption]
छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से एक और मौत: अब तक 12 बच्चों की गई जान, रिपोर्ट-सिरप में 0.1% के बजाय 48.6% केमिकल
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छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। शनिवार, 4 अक्टूबर की देर रात एक और मासूम ने दम तोड़ दिया है। इसी के साथ जहरीले कफ सिरप से अब तक 12 बच्चों की जान चली गई है। अब जहरीले कफ सिरप (coldrif) पर छत्तीसगढ़ पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।
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