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हाइलाइट्स
- हर साल रेबीज से होती है 59,000 मौतें
- चमगादड़ और बंदर भी मुख्य वाहक
- 28 सितंबर को मनाया जाता है World Rabies Day
रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से फैलता है, यह सोच गलत है। वर्ल्ड रेबीज डे 2025 पर जानिए कि किन-किन जानवरों से यह खतरनाक वायरस फैल सकता है और क्यों इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड रेबीज डे?
हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक करना है। यह वायरस इंसानों और जानवरों के दिमाग और नर्वस सिस्टम पर हमला करता है। समय पर इलाज न मिलने पर यह मौत का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में हर साल करीब 59,000 लोग रेबीज से जान गंवाते हैं।
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रेबीज क्या है और क्यों खतरनाक है?
रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो लाइसावायरस (Lyssavirus) के कारण होती है। यह वायरस संक्रमित जानवरों की लार के माध्यम से इंसानों में प्रवेश करता है। जब यह शरीर में जाता है, तो यह सीधे नर्वस सिस्टम पर हमला करता है और दिमाग में सूजन पैदा करता है। यही कारण है कि मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी मौत हो सकती है। अगर एक बार लक्षण शुरू हो जाएं तो इसका इलाज लगभग नामुमकिन हो जाता है। यही वजह है कि डॉक्टर समय रहते वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं।
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भारत में रेबीज की स्थिति
भारत में रेबीज की स्थिति बेहद गंभीर है। यहां 95% से ज्यादा मामले कुत्तों के काटने से सामने आते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि रेबीज का कोई स्थायी इलाज नहीं है। अगर लक्षण दिखने लगें तो मरीज को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि समय पर टीकाकरण और सही इलाज बेहद जरूरी है।
किन-किन जानवरों से फैलता है रेबीज?
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| जानवर | खतरे की स्थिति / कारण |
| कुत्ते | भारत में 95–99% मामले इन्हीं से होते हैं |
| बिल्लियां | बिना टीकाकरण की बिल्लियां भी रेबीज फैला सकती हैं |
| चमगादड़ | काटने का पता नहीं चलता, अमेरिका में मुख्य स्रोत |
| बंदर | काटने और खरोंचने से वायरस फैल सकता है |
| लोमड़ी, रैकून, सियार | जंगली जानवरों से इंसानों में फैलने का खतरा |
| गाय, भैंस, खेत के जानवर | संक्रमित होने पर काटने से इंसानों में फैल सकता है |
बचाव ही है सबसे बड़ा उपाय
रेबीज से बचाव पूरी तरह संभव है, लेकिन इसके लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है। किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने पर घाव को तुरंत साबुन और पानी से धोना चाहिए। उसके बाद तुरंत नजदीकी अस्पताल जाकर वैक्सीन लगवानी चाहिए। पालतू जानवरों को समय-समय पर रेबीज वैक्सीन दिलवाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आवारा जानवरों से दूरी बनाए रखना और लक्षण दिखने तक इंतजार न करना ही सुरक्षित रहने का तरीका है। सावधानी, जागरूकता और समय पर टीकाकरण ही रेबीज से बचाव का सबसे कारगर उपाय हैं।
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