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World Population Day 2025: ऐसे देश जो भुगत रहे जनसंख्या नियंत्रण कानूनों के नुकसान, भारत में बच्चे 2 ही अच्छे का ये असर

World Population Day 2025: विश्व जनसंख्या दिवस 2025 पर आज हम ऐसे देशों के बारे में जानेंगे जो पहले तो पॉपुलेशन कंट्रोल करने के लिए नियम लाए अब उसके दुष्परिणाम भुगत रहे हैं।

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Vishalakshi Panthi
World Population Day 2025: ऐसे देश जो भुगत रहे जनसंख्या नियंत्रण कानूनों के नुकसान, भारत में बच्चे 2 ही अच्छे का ये असर

World Population Day 2025: दुनिया के कई देशों ने एक समय पर बढ़ती आबादी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए थे। उस वक्त उन्हें लगा कि ज्यादा जनसंख्या से आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याएं रुक जाएंगी। लेकिन अब वही देश जनसंख्या में आई गिरावट की वजह से नई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। काम करने वाले युवाओं की संख्या घट रही है, स्कूल और गांव खाली हो रहे हैं, और बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 

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चीन की वन चाइल्ड पॉलिसी के ये रहे दुषपरिणाम

[caption id="attachment_855797" align="alignnone" width="710"]China Population 2025 साल 2025 में चाइना की जनसंख्या का ग्राफ[/caption]

चीन की "वन चाइल्ड पॉलिसी", जो 1979 में लागू की गई थी, ने देश की जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित तो किया, लेकिन इसके दूरगामी सामाजिक और जनसांख्यिकीय दुष्परिणाम भी सामने आए। इस नीति के चलते लाखों कन्याओं का या तो गर्भ में ही लिंग के आधार पर गर्भपात कर दिया गया या जन्म के बाद उन्हें त्याग दिया गया, जिससे देश का लैंगिक अनुपात गंभीर रूप से असंतुलित हो गया। 

वर्तमान में चीन की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुजुर्ग हो चुका है — 20% से अधिक — जबकि कामकाजी युवा वर्ग की संख्या में गिरावट आई है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने अब "तीन बच्चों" की नीति लागू की है, लेकिन सामाजिक सोच में आया बदलाव यह संकेत दे रहा है कि युवा अब विवाह और बच्चों की जिम्मेदारी उठाने के प्रति इच्छुक नहीं हैं, जिससे जनसंख्या संकट और गहराता जा रहा है।

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जापान को इन समस्याओं का करना पड़ रहा सामना 

[caption id="attachment_855800" align="alignnone" width="694"]Japan Population in 2025 साल 2025 में जापान की जनसंख्या कुछ इस तरह दर्ज की गई।[/caption]

जापान इस समय गंभीर जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है, जहां जन्म दर दुनिया के सबसे निचले स्तरों में से एक है। आधुनिक जीवनशैली, करियर को प्राथमिकता और बढ़ती जीवन लागत के कारण लोग विवाह और परिवार शुरू करने से बच रहे हैं। इसका सीधा असर देश के सामाजिक ढांचे पर पड़ा है — कई स्कूल बंद हो गए हैं, ग्रामीण इलाके खाली हो रहे हैं और कामकाजी उम्र की आबादी तेजी से घट रही है। 

साल 2023 में जापान की जन्म दर 1.26 रही, जो जनसंख्या के स्थिर रहने के लिए आवश्यक 2.1 के काफी नीचे है। बढ़ती बुजुर्ग आबादी और घटते युवाओं की संख्या को देखते हुए जापानी सरकार अब परिवार बढ़ाने के लिए नकद सहायता, कर में छूट, मुफ्त शिक्षा और चाइल्डकैअर जैसी योजनाएं चला रही है, ताकि जनसंख्या में संतुलन स्थापित किया जा सके।

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दक्षिण कोरिया दुनिया की सबसे कबसे कम आबादी वाले देशों में से एक

[caption id="attachment_855806" align="alignnone" width="699"]South Korea Population 2025 साउथ कोरिया में वर्तमान में 50 से 60 साल के लोगों की जनसंख्या सबसे ज्यादा दर्ज की जा रही है।[/caption]

दक्षिण कोरिया ने 1960 से 1980 के दशक तक जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए "कम बच्चे, बेहतर परवरिश" जैसी नीतियों को बढ़ावा दिया था। इन प्रयासों से देश ने जन्म दर को तेजी से कम कर लिया, लेकिन अब यही नीति सामाजिक चुनौती बन चुकी है। वर्ष 2023 में दक्षिण कोरिया की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) घटकर मात्र 0.72 प्रति महिला रह गई, जो दुनिया में सबसे कम है। 

युवा पीढ़ी अब करियर, शिक्षा और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है, जिससे विवाह और संतान की योजना टलती जा रही है। इस संकट से निपटने के लिए सरकार अब मुफ्त डे-केयर सुविधाएं, मातृत्व और पितृत्व अवकाश, कर छूट और नकद सहायता जैसी योजनाएं चला रही है। इसके बावजूद जनसंख्या में गिरावट की गति थम नहीं रही, जो देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संतुलन के लिए खतरे की घंटी बन गई है।

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भारत में ये हैं हालात

भारत में दो-बच्चे की नीति (Two Child Policy) को लेकर कोई केंद्रीय कानून लागू नहीं हुआ है, लेकिन कुछ राज्यों ने इसे स्थानीय स्तर पर अपनाया है, खासकर सरकारी नौकरियों, पंचायती चुनावों या लाभों की शर्त के रूप में। इसका असर पूरे देश की जनसंख्या पर बहुत बड़ा नहीं रहा, लेकिन जिन जगहों पर यह लागू की गई, वहाँ इसके कुछ मिलेजुले प्रभाव देखने को मिले:

सकारात्मक प्रभाव:

  1. जनसंख्या वृद्धि दर पर थोड़ी रोक: जिन क्षेत्रों में नीति लागू हुई, वहां जनसंख्या की वृद्धि दर कुछ हद तक धीमी हुई।
  2. परिवार नियोजन को बढ़ावा: यह नीति लोगों को छोटा परिवार रखने की ओर प्रेरित करती है।

नकारात्मक प्रभाव और चुनौतियां:

  1. लिंग अनुपात बिगड़ा: कुछ जगहों पर बेटे की चाह में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाएं बढ़ीं, जिससे लिंग असमानता गहराई।
  2. महिलाओं पर दबाव: दो बच्चे होने के बाद महिलाओं को पंचायत चुनाव लड़ने से रोका गया, जिससे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में बाधा आई।
  3. गरीब वर्ग पर असर: नीति का सबसे ज्यादा असर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों पर पड़ा, जिन्हें सरकारी सुविधाओं के लिए बच्चा न होने की शर्तों का पालन करना पड़ा।

वर्तमान स्थिति:

भारत में अब जनसंख्या वृद्धि दर धीमी हो रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत का कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) अब 2.0 के करीब है, जो स्थिर जनसंख्या के लिए जरूरी 2.1 से नीचे है।

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