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World Nature Conservation Day 2023: नेचर से खिलवाड़ के परिणाम आने लगे हैं सामने, अलर्ट नहीं रहे तो होगा महाविनाश

World Nature Conservation Day 2023 के माध्यम से लोगों को आगाह करना और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है।

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Shyam Nandan
World Nature Conservation Day 2023: नेचर से खिलवाड़ के परिणाम आने लगे हैं सामने, अलर्ट नहीं रहे तो होगा महाविनाश

World Nature Conservation Day 2023: पृथ्वी पर जीवन के लिए पानी, हवा, मिट्टी, खनिज, पेड़, जानवर, भोजन आदि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं है, इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी प्रकृति को स्वच्छ और स्वस्थ रखें।

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प्रकृति के इन्हीं संसाधनों और उसके संरक्षण के संदर्भ में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रति वर्ष 28 जुलाई को पूरी दुनिया में ‘विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस’ (World Nature Conservation Day) मनाया जाता है।

World Nature Conservation Day का उद्देश्य

वर्ल्ड नेचर कंजर्वेशन डे मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों और कारणों की पहचान कर उसके दुष्परिणामों को रोकना है. इसके तहत जीवाश्म ईंधन का उचित उपयोग, प्रदूषण नियंत्रण, जनसंख्या दबाव कम करना, मिट्टी का क्षरण रोकना, वनों की अंधाधुंध कटाई और अवैध शिकार को रोकना प्रमुखता से शामिल है।

इस दिवस के माध्यम से लोगों को आगाह करना और प्राकृतिक संसाधनों, जैसे- जल, ईंधन, वायु, खनिज, मिट्टी, वन्यजीव आदि के संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है।

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प्रकृति का एक हिस्सा है मानव

मानव प्रकृति का एक हिस्सा है, क्योंकि प्रकृति के बिना मानव की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्रकृति शब्दस ‘प्र’ और ‘कृति’ से मिलकर बना है, अर्थात प्रकृष्टि (श्रेष्ठ/उत्तम) और कृति का अर्थ रचना है। प्रकृति अर्थात वह मूलत्व जिसका परिणाम जगत है।

कहने का तात्पर्य प्रकृति से ही समूचे ब्रह्माण्ड की रचना की गई। प्रकृति दो प्रकार की है- प्राकृतिक प्रकृति और मानव प्रकृति।

प्रकृति के तत्व

प्राकृतिक प्रकृति में पांच तत्व - पृथ्वी , जल अग्नि, वायु और आकाश शामिल हैं। वहीं मानव प्रकृति में मन, बुद्धि और अहंकार शामिल हैं। प्रकृति और मनुष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है।

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मनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं।

प्रकृति से अच्छा और कोई गुरु नहीं

इसके अलावा मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा और कोई गुरु नहीं है। आज तक मनुष्य ने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया वह प्रकृति की देन है।

न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण समेत कई पाठ प्रकृति ने ही सिखाए हैं। तो वहीं कवियों ने प्रकृति के सानिध्य में रहकर एक से बढ़कर एक कविताएं लिखीं है।

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मानव ने प्रकृति को बुरी तरह किया प्रभावित

पिछले कुछ दशकों में मनुष्य ने अपने जीवन में काफी प्रगति की है। लेकिन इस तकनीकी प्रगति ने प्रकृति को काफी हद तक बुरी तरह प्रभावित किया है।

मनुष्य अपने विकास की दौड़ में यह सोचने बिना ही प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है कि इसके बुरे और शोचनीय परिणाम सामने आने लगे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अकारण और समय भारी बारिश, अत्यधिक गर्मी, बाढ़ और तूफ़ान आदि इसके ही बाय-प्रोडक्ट हैं।

पृथ्वी को जीवंत बनाए रखना है जरुरी

पृथ्वी को जीवंत बनाये रखने के लिए मनुष्यों के साथ–साथ पशु–पक्षी पेड़-पौधों का रहना भी अत्यंत आवश्यक है। मनुष्ये ने प्रकृति पर इस प्रकार हमला किया आज जीव जंतुओं और पेड़-पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं और कई प्रजाजियां विलुप्त हो चुकी है। पृथ्वी पर प्रत्येक जीवित प्राणी के साथ सह-अस्तित्व की एक प्रणाली विकसित करना आज के दौर की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

विश्व प्रकृति दिवस 2023 की थीम

इस साल 2023 में विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस को “Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet” थीम पर मनाया जा रहा है। प्रति दिन हर किसी के छोटे-छोटे योगदान से, हम अपनी पृथ्वी को बचा सकते हैं और उस प्रकृति को फिर से प्राप्त कर सकते हैं, जो हमें विरासत में मिली है।

विश्व प्रकृति दिवस का इतिहास

इस दिन का इतिहास क्या है और इसकी शुरुआत कैसे की गई इसके बारे में अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं है। हालांकि, समय के साथ, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं ने हमें यह बता दिया है कि पृथ्वी की हालत कितनी खराब हो चुकी।

साथ ही समय आ गया है कि हम अपनी जिम्मेदारियों को समझें और प्रकृति को प्रकोप दिखाने का मौका न दें। विश्व भर में जलवायु परिवर्तन पिछले कई सालों से एक गंभीर मुद्दा बन गया है। ग्लोबल वार्मिंग, पॉल्यूशन और विलुप्त होती रहीं प्रजातियां प्रकृति में असंतुलन पैदा कर रही हैं।

नेचुरल रिसोर्सेज की रक्षा करना सबकी जिम्मेदारी

जिसके चलते नेचुरल रिसोर्सेज की रक्षा करना हम सब की जिम्मेदारी है। इसके अलावा हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि हमारे कारण प्रकृति को कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इस दिन नेचर को समझने और उसके हित में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके के लिए कई तरह के कार्यक्रम और सेमिनार भी आयोजित किए जाते है। हालांकि, हमें बातों से ऊपर उठकर अपने-अपने हिस्से की जिम्मेदारियों को निभाना होगा क्योंकि बूंद-बूंद से सागर बनता है।

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