गुजरात। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोमवार को ‘अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस’ World Indigenous Day के अवसर पर कहा कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी गयी है।
रूपाणी ने कहा कि, उनकी सरकार अगले पांच वर्षों के दौरान आदिवासियों World Indigenous Day के कल्याण के लिए ‘वनबंधु कल्याण योजना-दो’ के तहत 1,00,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। रूपाणी ने ‘बिरसा मुंडा आदिवासी विश्वविद्यालय’ के मुख्य परिसर के लिए डिजिटल तरीके से शिलान्यास भी किया। यह विश्वविद्यालय गुजरात के आदिवासी बहुल नर्मदा जिले में राजपीपला शहर के पास बनेगा।
વિશ્વ આદિવાસી દિવસ
વનબંધુ કલ્યાણ યોજના અંતર્ગત આદિજાતિ વિસ્તારોના સર્વાંગી વિકાસ માટે છેલ્લાં 5 વર્ષમાં ગુજરાત સરકારે ખર્ચ્યા રૂ.60,000 કરોડ
આદિવાસીઓના વિકાસની દરકાર, રાખી રહી છે ગુજરાત સરકારhttps://t.co/7JjHa0smQx
— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) August 9, 2021
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए रूपाणी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पांच नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना को मंजूरी दी है। बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के उत्थान के लिए संघर्ष किया। यह बहुत गर्व की बात है कि उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय World Indigenous Day यहां बन रहा है। इस पर 400 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस विश्वविद्यालय से आदिवासी युवाओं को अपना करियर बनाने में मदद मिलेगी।’’
मुख्यमंत्री के रूप में पांच साल पूरा होने के उपलक्ष्य में नौ दिवसीय कार्यक्रमों के तहत राज्य में ‘विश्व आदिवासी दिवस’ World Indigenous Day मनाया गया। आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद सात अगस्त 2016 को रूपाणी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद भी मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे।
बिरसा मुंडा आदिवासी विश्वविद्यालय 2017 में अस्तित्व में आया और उसी वर्ष राजपीपला के एक कॉलेज से इसकी शैक्षणिक गतिविधियों की शुरुआत World Indigenous Day हुई। रूपाणी ने कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्होंने वनबंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) की शुरुआत की थी।
गुजरात के सभी 52 आदिवासी World Indigenous Day बहुल तालुका राज्य में पूर्ववर्ती कांग्रेस के शासन में विकास से वंचित थे।’’ उन्होंने कहा कि योजना के तहत अब तक उन आदिवासी क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्यों पर 90,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।