World Hemophilia Day 2023: हर साल 17 अप्रैल को दुर्लभ और जानलेवा बीमारी हीमोफीलिया के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए पूरी दुनिया में विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। यह दिवस फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel) के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जो वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक थे।
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विश्व हीमोफिलिया दिवस 2023 की थीम – World Hemophilia Day 2023 Theme
हर साल विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) के लिए जागरूकता बढाने के लिए एक थीम के पूरी दुनिया में अभियान चलाया जाता है। साल 2023 के लिए इस दिवस की थीम है: “सभी की पहुँच में: वैश्विक मानक के रूप में रक्तस्राव की रोकथाम और देखभाल” (Access for All: Prevention of bleeds as the global standard of care)।
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया ने इस साल इस घातक बीमारी के लिए एकजुट होकर विश्व हीमोफीलिया दिवस के दिन दुनिया भर में प्रसिद्ध स्थलों को लाल रंग में रंगने का अनुरोध किया है। आपको बता दें, साल 2022 इस दिवस की थीम थी: “सभी की पहुँच में: सहभागिता, नीति और प्रगति” (Access for All: Partnership। Policy। Progress)।
#WorldHaemophiliaDay is tomorrow! Show your support by updating your profile picture to the #WHD2023 ‘Access for All’ logo pic.twitter.com/VOlk5xxRyh
— HFA (@Haemophilia_Au) April 16, 2023
हीमोफीलिया क्या है – What is Hemophilia?
हीमोफीलिया दरअसल एक आनुवांशिक रोग है। यह रोग जिसे होता है, उसके शरीर में रक्त जमता नहीं है। लिहाजा जब कोई शरीर के किसी अंग चोट लगती है, या कट जाता है या फिर दुर्घटना हो जाती है, तो रक्तस्राव रुक नहीं पाता है। इससे शरीर में खून की कमी होने लगती है, जो जानलेवा हो जाती है।
डॉक्टरों और जानकारों के अनुसार, यह एक गंभीर शारीरिक विकृति है, जो सामान्य रूप से समझ में नहीं आती है। यह समस्या शरीर में एक विशेष प्रकार के प्रोटीन (प्लेटलेट्स) की कमी के कारण होती है, जिसे जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है।
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दो तरह की होती है हीमोफीलिया
हीमोफीलिया नाम की यह बीमारी दो तरह की होती है: हीमोफीलिया ‘ए’ (Hemophilia ‘A’) और हीमोफीलिया ‘बी’ (Hemophilia ‘B’)। विशेषज्ञों के अनुसार, हीमोफीलिया ‘ए’ में फैक्टर 8 की कमी होती है, जबकि हीमोफीलिया ‘बी’ में फैक्टर 9 की कमी होती है। ये दोनों ही खून में थक्का बनाने के लिए जरुरी घटक हैं।’
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केवल 25% लोगों को उपलब्ध है उपचार
जैसा कि बताया गया है कि हीमोफीलिया एक रोग दुर्लभ है यानी हर किसी को नहीं होता है। लेकिन जिसे होता है, उसे जीवन भर संभल कर और लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना पड़ता है। उसे किसी भी प्रकार के चोट, खरोंच-चीरा और शारीरिक दुर्घटना से बच कर रहना पड़ता है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि साल 2000 में हुए एक शोध के अनुसार, दुनिया में लगभग 12 लाख लोग हीमोफीलिया रोग से जूझ रहे हैं। इनमें से केवल 25 फीसदी लोगों तक ही पर्याप्त उपचार की सुविधा उपलब्ध है।
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हीमोफीलिया के लक्षण – Hemophilia Symptoms
हीमोफीलिया के लक्षण व्यक्ति विशेष को लेकर भिन्न-भिन्न हो सकते है। इसके लक्षण मामूली भी हो सकते हैं और गंभीर भी, जो कि खून में उपस्थित थक्कों के स्तर पर निर्भर करता है। लंबे समय तक रक्तस्राव के अलावा भी इस बीमारी के दूसरे लक्षण होते हैं।
बीबीसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, हीमोफीलिया से ग्रसित व्यक्तियों में निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
— नाक से लगातार रक्त का स्राव होना
— मसूड़ों से रक्त स्राव होना
— त्वचा का आसानी से छिल जाना
— आंतरिक रक्तस्राव के कारण शरीर में जोड़ों में दर्द होना
आपको बता दें, कई बार हीमोफीलिया में सिर के अंदर भी रक्तस्राव होता है। जिससे लोगों को सिर में तेज दर्द, शरीर ऐंठन, गर्दन में अकड़न और उल्टियाँ आती है। अनेक लोगों में धुंधला दिखना, बेहोशी और चेहरे पर लकवा होने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। हालांकि, ऐसे मामले काफी कम ही होते हैं।
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हीमोफीलिया का उपचार – Treatment of Hemophilia
कुछ सालों पहले तक हीमोफीलिया का कोई मानक ईलाज पूरी दुनिया में उपलब्ध नहीं था। लेकिन विगत वर्षों में हुए वैज्ञानिक प्रगति और चिकित्सकीय शोधों के फलस्वरूप आज हीमोफीलिया के ईलाज के लिए इंजेक्शन और दवाइयां उपलब्ध हैं।
वर्तमान में शरीर में हीमोफीलिया के फैक्टर की कमी होने पर बाहर से इंजेक्शन के लगाकर इसका ईलाज किया जा रहा है। रोग की गंभीरता कम होने पर इसका ईलाज दवाइयों से किया जा रहा है।
चूंकि यह एक आनुवंशिक बीमारी है, तो यह माता या पिता से उनके बच्चों में आने की संभावना होती है। ऐसे में पहले इसकी उचित जांच और निदान पहले ही कर ली जाती है।
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