Advertisment

World Glaucoma Week 2025: क्या धूप में आपको आंखों‌ में दिखते हैं इंद्रधनुषी रंग, हो सकता है ग्लॉकोमा का लक्षण

World Glaucoma Week 2025: ग्लॉकोमा, जिसे कांचबिंद भी कहा जाता है, आंखों के दबाव (आई प्रेशर) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। यह मोतियाबिंद (कैटेरेक्ट) के बाद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण है। भारत में लगभग 1.25 करोड़ से अधिक लोग ग्लॉकोमा से प्रभावित हैं, और यह संख्या हर साल 5.5 प्रति हजार की दर से बढ़ रही है। ग्लॉकोमा के प्रति जागरूकता और समय पर ट्रीटमेंट ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।

author-image
Ashi sharma
World Glaucoma Week 2025

World Glaucoma Week 2025

World Glaucoma Week 2025: ग्लॉकोमा, जिसे कांचबिंद भी कहा जाता है, आंखों के दबाव (आई प्रेशर) से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। यह मोतियाबिंद (कैटेरेक्ट) के बाद अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण है। भारत में लगभग 1.25 करोड़ से अधिक लोग ग्लॉकोमा से प्रभावित हैं, और यह संख्या हर साल 5.5 प्रति हजार की दर से बढ़ रही है। ग्लॉकोमा के प्रति जागरूकता और समय पर ट्रीटमेंट ही इस बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।

Advertisment

क्या है ग्लॉकोमा?

ग्लॉकोमा आंखों के दबाव (आई प्रेशर) से जुड़ी एक बीमारी है। सामान्य तौर पर आंखों का दबाव 10 mmHg से 21 mmHg के बीच होता है। यदि यह दबाव इससे अधिक हो जाता है, तो यह ग्लॉकोमा का संकेत हो सकता है। यह बीमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व (दृष्टि तंत्रिका) को नुकसान पहुंचाती है, जिससे धीरे-धीरे विजन कमजोर होता है और अंधे होने का का खतरा बढ़ जाता है।

ग्लॉकोमा के लक्षण

सामान्य तौर पर ग्लॉकोमा के शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यह बीमारी अक्सर रूटीन आई चेकअप के दौरान पकड़ में आती है। हालांकि, कुछ मरीजों में बताए गए लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • आंखों में भारीपन या लालिमा
  • आंखों से पानी आना
  • सिरदर्द
  • रोशनी के आसपास इंद्रधनुषी रंग दिखना
Advertisment

इन कंडिशन में होता है ग्लॉकोमा

  • यदि आपकी आयु 40 वर्ष से अधिक है।
  • यदि आपके परिवार में किसी को ग्लॉकोमा है।
  • यदि आपको मायोपिया (हाई माइनस नंबर) है।
  • यदि आप डायबिटीज से पीड़ित हैं।
  • यदि आपको आंखों में चोट लगी है।
  • यदि आप लंबे समय तक स्टेरॉयड दवाओं का सेवन कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें- Morning Routine Tips: सुबह जरूर करें ये चार काम, सारा दिन मोटिवेटेड और फ्रेश महसूस करेंगे

ग्लॉकोमा की जांच

  • टोनोमेट्री: आंखों के दबाव (आई प्रेशर) की जांच।
  • ऑप्टिक नर्व जांच: आंखों की दृष्टि तंत्रिका की जांच।
  • फील्ड पेरीमेट्री टेस्ट: दृष्टि क्षेत्र की जांच।
  • ओसीटी (ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी): आंखों की गहन जांच।
Advertisment

ग्लॉकोमा का इलाज

  • आई ड्रॉप: प्रारंभिक अवस्था में आई ड्रॉप से दबाव को कंट्रोल किया जाता है।
  • लेजर ट्रीटमेंट: कुछ मामलों में लेजर थेरेपी का उपयोग किया जाता है।
  • सर्जरी: एडवांस स्टेज में सर्जरी की आवश्यकता होती है।

ग्लॉकोमा के मरीजों के लिए सावधानियां

  • नियमित रूप से आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
  • डॉक्टर के निर्देशानुसार साल में कम से कम एक बार जांच कराएं।
  • फील्ड पेरीमेट्री और ओसीटी जैसी जांचें समय-समय पर कराएं।
  • डॉक्टर के साथ नियमित फॉलो-अप बनाए रखें।

ग्लॉकोमा की बीमारी विशेष क्यों है?

  • यह भारत में अंधत्व का दूसरा प्रमुख कारण है।
  • यह लक्षण रहित बीमारी है, जिसका पता अक्सर रूटीन चेकअप में चलता है।
  • एक बार खराब हो चुकी दृष्टि को वापस पाना संभव नहीं है, लेकिन उचित उपचार से बची हुई दृष्टि को बचाया जा सकता है।
Advertisment

विश्व ग्लॉकोमा सप्ताह

ग्लॉकोमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष मार्च के महीने में विश्व ग्लॉकोमा सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष यह 9 से 15 मार्च तक मनाया जाएगा।

(लेखक: डॉ.गजेंद्र चावला, अध्यक्ष एमपी ऑफ्थेल्मोलॉजी सोसाइटी)

यह भी पढ़ें- भोपाल में युवक की सोते-सोते मौत: जल्द होने वाली थी शादी, जानें क्या है साइलेंट अटैक और युवाओं में क्यों बढ़ रहे मामले?

World Glaucoma Week 2025
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें