World Environment Day 2021: दुनिया का सबसे बड़ा पेड़, जिसकी सेवा में वैज्ञानिक से लेकर माली तक लगे रहते हैं

World Environment Day 2021: दुनिया का सबसे बड़ा पेड़, जिसकी सेवा में वैज्ञानिक से लेकर माली तक लगे रहते हैं

World Environment Day 202

नई दिल्ली। दुनिया में हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे का उद्देश्य है लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना। ऐसे में आज हम आपको विश्व के सबसे बड़े पेड़ की कहानी बताने जा रहे हैं। यह पेड़ भारत में है, इसने अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज कराया है।

द ग्रेट बनियन ट्री

दरअसल, भारत में बरगद के पेड़ को पूज्यनीय माना जाता है। सनातन धर्म के लोग इसकी पूजा करते हैं। यही कारण है भारत में आपको विशालकाय बरगद के अनगिनत पेड़ मिल जाएंगे। लेकिन एक पेड़ ऐसा है जिसे वर्ल्ड रिकॉर्ड का दर्जा प्राप्त है। इस पेड को ‘द ग्रेट बनियन ट्री’ (The Great Banyan Tree) के नाम से भी जाना जाता है। ये विशालकाय बरगद का पेड़ 250 साल से भी ज्यादा पुराना है।

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कोलकता में है दुनिया का सबसे बड़ा पेड़

दुनिया का सबसे बड़ा बरगद का पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में स्थित है। इस पेड़ को 1787 में यहां स्थापित किया गया था। वर्तमान में इस पेड़ की जड़ें और शाखाएं इतनी ज्यादा हैं, कि एक पेड़ से पूरा जंगल बस गया है। लोग इसे एक बार में देखकर ये अंदाजा नहीं लगा पता कि ये केवल एक ही पेड़ है। ये पेड़ 14,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और करीब 24 मीटर उंचा है।

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पेड़ में 3 हजार से भी ज्यादा जटाएं हैं

एक अनुमान के मुताबिक इस पेड़ में तीन हजार से भी ज्यादा जटाएं हैं, जो अब जड़ों में तब्दील हो चुकी है। खास बात ये है कि इस पेड़ पर 80 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी रहते हैं। पेड़ जितनी विशालकाय है उतना ही मजबूत भी है। क्योंकि 1884 और 1925 में कोलकाता में आए चक्रवती तूफानों में भी इस पेड़ को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। हालांकि इस तूफान के कारण पड़ की कई शाखाओं में फफूंद जरूर लग गई थी, इस कारण से इसकी कई शाखाओं को काटना पड़ा था।

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13 लोगों की टीम करती है इसकी देखरेख

मालूम हो कि भारत सरकार ने इस पेड़ के सम्मान में साल 1987 में डाक टिकट भी जारी किया था। बरगद के इस पेड़ को बॉटिनकल सर्वे ऑफ इंडिया का प्रतीक चिह्न के तौर पर भी पहचाना जाता है। पड़े की देखरेख के लिए 13 लोगों की टीम काम करती है। जिसमें वनस्पति वैज्ञानिक से लेकर माली तक शामिल है। वैज्ञानिक समय-समय पर इसकी जांच भी करते रहते हैं ताकि इसे कोई नुकसान न हो।

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