नई दिल्ली। साइकिल का इतिहास काफी पुराना है। लोग कभी इससे मीलों का सफर तय किया करते थे। आज साइकिल की जगह मोटर वाहनों ने ले ली है। लोग अब इसे फिटनेस के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन फिर भी देश में साइकिल चलाने वालों की संख्या दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है। दुनियाभर में आज यानी 03 जून को विश्व साइकिल दिवस/वर्ल्ड बाइसिकल डे मनाया जा रहा है। सबसे पहले इस दिन को साल 2018 में आधिकारिक रूप से मनाया गया था।
पैदल चलने वालों के लिए साइकिल का आविष्कार
साइकिल का इतिहास 19वीं सदी के प्रारंभ से जुड़ा हुआ है। तब लोग केवल घोड़ा गाड़ी से चला करते थे। उस वक्त घोड़ा गाड़ी को काफी महंगा साधन माना जाता था, ज्यादातर लोग इसे अफ़ोर्ड नहीं कर पाते थे। ऐसे में वो मीलों पैदल चलकर यात्रा किया करते थे। ऐसे ही लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जर्मनी के एक शख्स Baron Karl Von Drais ने बिना किसी की सहायता से चलने वाली एक चीज की खोज की। जिसे आप साइकिल का पहला रूप कह सकते हैं।
लकड़ी से बनाई गयी थी साइकिल
शुरूआत में साइकिल को लकड़ी से बनाया गया था। इसमें दो पहिये लगे हुए थे और बीच में आदमी को बैठकर अपने पैर से इसे धक्का देना होता था। तब इसे Laufmaschine कहा जाता था। ड्रेइसो के इस डिजाइन को इग्लैंड में कुछ बदलाव के साथ पेश किया गया, जिसे Dandy Horse कहा गया। इस साइकिल को लोगों ने करीब 40 वर्षों तक इस्तेमाल किया।
इन दोनों भाइयों ने साइकिल में पेडल और सीट को जोड़ा
इसके बाद फ्रांस के दो भाइयों Pierre Michuax और Pierre Lallemen ने मिलकर इसमें पेडल और आदमी के बैठने के लिए सीट को जोड़ा। जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। दोनों भाईयों ने इस साइकिल को बड़े स्तर पर बनाने के लिए करीब 4 वर्षों तक पैसे इकट्ठे किए। इसके बाद इसका निर्माण शुरू हुआ। बीच-बीच में दोनों भाइयों ने साइकिल में कुछ बदलाव भी किए और नई साइकिल का नाम रखा BOneshaker।
1869 में हल्के फ्रेम का इस्तेमाल किया गया
1869 में Eugene Meyer ने साइकिल को नया रूप दिया। इसमें हल्के फ्रेम का इस्तेमाल किया गया था। इस वजह से साइकिल तेज गति से चलने लगी। इस मॉडल में आगे की तरह बड़े पहिए लगे होते थे। इस वजह से इसे अधिक चढ़ाई और ढलान वाले रास्तों पर चलाने में दिक्कत होती थी। कुछ साल बाद JOhn Kemp Starley ने Safety Bicycle नाम की एक नई साइकिल पेश की। इसमें पैडल पिछले टायर से जुड़े हुए थे और उसके हैंडल को जरूरत के हिसाब से मोड़ा जा सकता था। 20वीं सदी की शुरूआत में ये साइकिल लोगों को खूब पसंद आई। 1900 से 1950 तक कहीं आने-जाने के लिए साइकिल प्रमुख साधन थी।