Woodpecker Facts in Hindi: आप सभी ने कभी-न-कभी कठफोड़वा पक्षी, जिसे अंग्रेजी में वुडपेकर (Woodpecker) कहते हैं, जरुर देखा होगा। आपने यह भी नोटिस किया होगा, वह हमेशा अपनी चोंच से लकड़ी खोदता रहता है, उसमें छेद करता रहता है। आइए जानते हैं, वह ऐसा क्यों करता है?
सबसे बड़ा कारण
लकड़ी में कठफोड़वा के लगातार चोंच मारने और उसके इस व्यवहार के कई कारण हैं। इसमें से सबसे पहला और बड़ा कारण है, भोजन की तलाश।
कठफोड़वा एक कीटभक्षी प्राणी है। वह पेड़ की छाल और लकड़ी के नीचे छिपे कीड़ों और लार्वा को खोज-खोज निकालता है और खाता है। इसके लिए वह अक्सर लकड़ी को खोदता रहता है।
गौरतलब है कि इस काम के लिए उसके पास एक लंबी और विशेष चोंच और एक बेहद चिपचिपी जीभ होती है, जो उसे लकड़ी की दरारों से शिकार (कीट) को निकालने में सहायता करती है।
संदेश का आदान–प्रदान
आपने कभी कठफोड़वा को झुंड में नहीं देखा होगा। ये प्रायः जोड़े में भी नहीं दिखते हैं, हालांकि इसका दूसरा पार्टनर आसपास ही कहीं किसी और पेड़ का तना खोद रहा होता है। ऐसे में यह बार-बार चोंच मार कर और ध्वनि उत्पन्न कर आसपास के सदस्यों को अपनी उपस्थिति और प्रभुत्व के बारे सचेत करता रहता है।
संभोग के लिए आमंत्रण और खतरे की चेतावनी
कठफोड़वा कट-कट या खट-खट की ध्वनि के माध्यम से अपनी प्रजाति के दूसरों मेम्बर्स ध्वनि उत्पन्न कर विशेष और अलग-अलग साउंड-पैटर्न के जरिए जरुरी संदेश भी देता है। जैसे कि साथी को युग्मन और संभोग के लिए आकर्षित करना या किसी प्रकार की खतरे की चेतावनी पहुंचाना।
घोंसला बनाना
कठफोड़वा अपने रहने के लिए आश्रय बनाने के लिए भी अक्सर पेड़ों में चोंच मारकर घोंसला खोदते हैं। जो बाद में उसे और उसके बच्चों आश्रय बन जाता है.
क्यों नहीं टूटती है कठफोड़ की चोंच
कठफोड़वा की तरह व्यवहार करने पर यानी जिस गति और शक्ति से कठफोड़वा लकड़ी खोदता है, किसी और पक्षी या प्राणी को जबरदस्त शारीरिक और मानसिक आघात हो जाएगा. लेकिन कठफोड़वा के साथ ऐसा नहीं होता है.
दरअसल, कठफोड़वाओं की चोंच और खोपड़ी न केवल मजबूत और लचीली होती है बल्कि उसकी बनावट भी काफी अलग होती है। उसकी चोंच झटके की चोट और तनाव को अवशोषित करने के लिए डिज़ाइन की हुई होती है।
अनुकूलित होता है कठफोड़वा
दूसरे शब्दों में कहें, तो कठफोड़वा अपने इस व्यवहार के लिए अनुकूलित होता है. वास्तव में सख्त चोंच एक विशेष प्रकार के प्रोटीन ‘कैरेटिन’ (Keratin) की बनी होती है। उसकी गर्दन की मांसपेशियां अतिरिक्त रूप से मजबूत होती है, जो जल्दी थकने नहीं देती है।
प्रकृति का स्पेशल गिफ्ट
लगे हाथ कठफोड़वा से जुड़ा एक दूसरा रोचक फैक्ट यह भी जान लीजिए कि उसकी खोपड़ी और मस्तिष्क के बीच हवा का एक पैड (तकिया) होता है, जो कठफोड़वा के लकड़ी पर चोंच मारने से उत्पन्न झटके और तेज आवाज को उसके दिमाग तक पहुंचने ही नहीं देती है। यह प्रकृति की स्पेशल गिफ्ट है, जो सिर्फ कठफोड़वा के पास होता है।
यही कारण है कठफोड़वा आसानी से अपना काम कर रहा होता है। जबकि उसके आसपास हम जैसे सुनने वाले को उसकी आवाज से इरीटेशन होने लगती है। यदि कोई प्राणी कठफोड़वा की तरह करे, तो जल्दी ही विक्षिप्त यानी पागल हो जाएगा।
मुहावरा: कठफोड़वा की तरह लकड़ी खोदना
कठफोड़वा निस्संदेह अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली के कारण एक विशिष्ट पक्षी है। वह लगातार बिना रुके लकड़ी पर चोंच मारते रहता है।
चूंकि आम आदमी को पता नहीं होता है कि वह ऐसा क्यों करता है, इसलिए जब कोई इंसान हमेशा किसी काम में मशगूल रहता है, तो उसके लिए कठफोड़वा के काम से जोड़ दिया जाता है, कि ‘क्या कठफोड़वा की तरह हमेशा ही लकड़ी खोदते रहते हो’।
निरंतरता का प्रतीक है यह मुहावरा
भले ही यह मुहावरा एक व्यंग है और किसी आदमी की सोच और और कृत्य को बताने के लिए प्रयोग में आता है।
लेकिन, इसका एक पॉजिटिव एस्पेक्ट भी है कि कोई आदमी किसी जरुरी या गैर-जरुरी उद्देश्य से या काम को भले ही व्यर्थ और अवावश्यक मानकर ही क्यों कर रहा हो, वह उसे करने से पीछे नहीं हटता है, उसे करने से बचता नहीं है. यह मुहावरा निरंतरता का प्रतीक है।
लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक है कठफोड़वा जैसा गुण
भले ही यह मुहावरा किसी आदमी की आलोचना या सोच का प्रतीक हो या किसी व्यक्ति के व्यवहार या उसके काम सवाल उठाता हो, कठफोड़वा की तरह लकड़ी lखोदना किसी व्यक्ति के विचार, मेहनत, उत्साह, और आत्मविश्वास की प्रतीक भी है, जो किसी के लिए भी सफलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक होती हैं।
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