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नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। यह सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। सत्र के पहले ही दिन सरकार ने विवादास्पद तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया। हालांकि इन तीन दिनों में विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है। पहले ही दिन राज्यसभा में हंगामे के चलते सभापति ने विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया था। इसके बाद से तो विपक्ष सरकार पर और ज्यादा हमलावर है। वुधवार को विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया इस कारण से प्रश्नकाल और शन्यूकाल दोनों हंगामें की भेट चढ़ गया। कई लोग अब सोच रहे होंगे कि ये प्रश्नकाल और शून्यकाल है क्या? तो चलिए आज हम आपको इसके बार में विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, संसद के नियमों के अनुसार कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिसका हमारे आम जन जीवन से नाता तो होता है लेकिन हम अपने बोलचाल की भाषा में इन शब्दों का प्रयोग नहीं करते। इस कारण से हम इन शब्दों के बारे में ज्यादा जानते भी नहीं हैं। इन्हीं शब्दों में से दो शब्द है शून्यकाल और प्रश्नकाल। प्रश्नकाल को तो ज्यादातर लोग समझ जाते हैं कि इस दौरान प्रश्न पूछे जाते होंगे लेकिन शून्यकाल और इसके नियम के बारे में कम ही लोग जानते हैं।
प्रश्नकाल क्या है
दोनों सदन में कार्यवाही का एक वक्त या हिस्सा प्रश्नकाल होता है। प्रश्नकाल एक तरह से टाइम सेगमेंट है, जिसमें अन्य सांसद सरकार के मंत्रियों से सवाल पूछते हैं। हालांकि यह टाइम राज्यसभा और लोकसभआ में अलग-अलग होता है। लोकसभा में कार्यवाही का पहला घंटा, यानी 11 से 12 बजे के समय को प्रश्नकाल कहा जाता है। इस दौरान सांसद सरकार के कार्यकलापों के प्रत्येक पहलू पर सवाल पूछते हैं। प्रश्नकाल के दौरान सरकार को कसौटी पर परखा जाता है। संबंधित मंत्री को इन प्रश्नों का जवाब देना होता है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल
वहीं राज्यसभा में प्रश्नकाल की बात करें तो यहां अलग व्यवस्था है। राज्यसभा में पहले शून्यकाल यानी जीरो आवर होता है और उसके बाद यहां प्रश्नकाल होता है। जबकि लोकसभा में कार्रवाही की शुरूआत ही प्रश्नकाल से होती है। मालूम हो कि प्रश्नकाल में सवाल पूछने का एक पैटर्न होता है, जिसमें तीन तरह के सवाल पूछे जाते हैं। जिसमें शॉर्ट नोटिस आदि सवाल पूछे जाते हैं। जबकि शून्यकाल की व्यवस्था अलग होती है और इसमें बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार कर सकते हैं।
शून्यकाल क्या है?
शून्यकाल में भी सवाल ही पूछे जाते हैं। ये भी प्रश्नकाल की तरह ही एक टाइम सेगमेंट है। जिसमें सांसद अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं। प्रश्नकाल की तरह ही शून्यकाल का टाइम दोनों सदनों में अलग-अलग होता है। लोकसभा में जहां कार्यवाही का पहला घंटा प्रश्नकाल होता है और उसके बाद का वक्त जीरो आवर या शून्यकाल होता है। वहीं, राज्यसभा में शून्यकाल से सदन की कार्यवाही की शुरूआत होती है और यहां इसके बाद प्रश्नकाल होता है।
शून्यकाल में सांसद बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार व्यक्त कर सकते हैं। लोकसभा में शून्यकाल तब तक खत्म नहीं होता, जबतक लोकसभा के उस दिन का एजेंडा खत्म नहीं हो जाता। वहीं राज्यसभा में शून्यकाल एक घंटे का होता है। जो कार्यवाही शुरू होने के पहले घंटे में होता है।
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