नई दिल्ली। आपने भी सुना होगा कि रात का तीसरा पहर बेहद खतरनाक होता है। दुनिया की कई संस्कृतियों और मान्यताओं में तीसरी घड़ी को खतरनाक माना जाता है। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच का समय तीसरा पहर माना जाता है। इसमें से भी रात के 3 से 4 बजे के बीच का समय बेहद खतरनाक माना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार इस दौरान शैतानी शक्तियां सबसे ज्यादा शक्तिशाली होती हैं और इंसान का शरीर सबसे ज्यादा कमजोर। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेडिकल साइंस इस बारे में क्या सोचता है?
मेडिकल साइंस इस चीज को क्या मानता है?
मेडिकल साइंस के अनुसार रात के 3 से 4 बजे के बीच सबसे ज्यादा उन लोगों का निधन होता है जो अस्थमा से पीड़ित होते हैं। अस्थमा अटैक का खतरा दिन के आम वक्त की अपेक्षा रात के 3 से 4 के बीच 300 गुना ज्यादा होता है। इसका कारण बताया जाता है कि इस वक्त एड्रेनेलिन और एंटी-इंफ्लेमेटरी हार्मोंस का उत्सर्जन शरीर में बहुत घट जाता है। जिससे शरीर में श्वसनतंत्र बहुत ज्यादा सिकुड़ जाता है। दिन की अपेक्षा इस वक्त ब्लडप्रेशर भी सबसे कम होता है। यह भी एक वजह है कि सवेरे 4 बजे सबसे ज्यादा लोगों की मौतें होती हैं।
ज्यादातर लोगों की मौत का कारण क्या है
NYU लैंगोन मेडिकल सेंटर की डॉ रोशनी राज कहती हैं कि सवेरे 6 बजे कोर्टिसोल हार्मोन के तेजी स्त्राव के कारण खून में थक्के जमने और अटैक पड़ने का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन सबसे ज्यादा ब्लडप्रेशर रात में 9 बजे होता है। यह भी मौत का कारण बन सकता है। वहीं एक रिसर्च यह भी कहता है 14 फीसदी लोगों के अपने जन्मदिन के दिन ही मरने की संभावना होती है। जबकि 13 फीसदी लोग कोई बड़ी पेमेंट पाने के बाद मरने की हालत में होते हैं।
सोने के दौरान लोगों की सांसें रूक जाती हैं
लेकिन 40 सालों से प्रैक्टिस कर रहे डॉ चंदर असरानी मानते हैं कि कमजोरी के चलते मौत की बात पूरी तरह से गलत है। वे लिखते हैं सवेरे 6 से दोपहर 12 के बीच हार्टअटैक की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसा ही रात में सोने के दौरान भी होता है, लेकिन इसकी वजह स्लीप एप्निया होती है। यानि एक ऐसी बीमारी है जिसमें सोने के दौरान लोगों की सांसें रुक जाती हैं।
उनका यह भी मानना है कि ऐसे रिसर्च केवल मार्केटिंग स्ट्रैटजी का हिस्सा होते हैं। और सच्चाई का एक पक्ष ही सामने रखते हैं। इन पर विश्वास नहीं करना चाहिए। इनके नाम पर कंपनियां अपने प्रॉडक्ट बेचती हैं और फायदा कमाती हैं।