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Mount Everest: माउंट एवरेस्ट अपनी ऊंचाई क्यों बदलता है? जानिए यहां

Mount Everest: आपने भी सुना होगा कि दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ रही है। पहाड़ों की ऊंचाई भी बढ़ती है।

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Bansal news
Mount Everest: माउंट एवरेस्ट अपनी ऊंचाई क्यों बदलता है? जानिए यहां

Mount Everest: आपने भी सुना होगा कि दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ रही है। आपको यह जानकर हैरत भी होती होगी कि आखिर ऐसा कैसे होता है। पहाड़ों की ऊंचाई भी बढ़ती है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई अब आधिकारिक तौर पर थोड़ी ज्यादा हो गई है। हालांकि, ऊंचाई में ज्‍यादा अंतर नहीं आया है, लेकिन इस कहानी में अभी काफी कुछ बचा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो यह लंबाई एवरेस्ट की कहानी का अंत नहीं है।

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नवीन वलित पर्वत है माउंट एवरेस्ट

माउंट एवरेस्ट एक नवीन वलित पर्वत है। अब आपके मन में सवाल आया होगा कि आखिर ये नवीन वलित पर्वत क्या है। तो हम आपको आसान भाषा में इसका मतलब भी समझाते हैं। सबसे पहले तो हम आपको बताते हैं कि धरती को अलग-अलग प्लेटों में बांटा गया है। ऐसी ही एक प्लेट है इंडियन प्लेट और दूसरी है यूरेशियन प्लेट।

उत्तर से यूरेशियन प्लेट और दक्षिण से इंडियन प्लेट धरती के नीचे एक-दूसरे से टकराते हैं। जिसकी वजह से ठीक वैसे जैसे कि आटा गूंथने के समय जब हम उसे बीच से दबाते हैं तो वो बाहर निकलता है धरती से पर्वत भी दोनों के बीच दबाव के चलते निकला है। इसको वलित पर्वत इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें साड़ी के फोल्ड जैसे वलन पड़ते हैं।

इसके अलावा उम्र के हिसाब से यह अभी अपनी युवावस्था में ही है। कुछ करोड़ साल पर्वत के लिए युवावस्था की ही उम्र होती है। इसलिए ही यह एक नवीन(युवा)वलित पर्वत है।

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19वीं सदी से अब तक माउंट एवरेस्ट को कैसे मापा जाता है?

इससे पहले 19वीं सदी में सर जॉर्ज एवरेस्ट भारत के महासर्वेक्षक थे। उस समय, औपनिवेशिक शासन के तहत, पहाड़ों को मापने के लिए त्रिकोणमिति का उपयोग किया जाता था। थियोडोलाइट्स जैसे ऑप्टिकल उपकरणों का उपयोग किया गया था। वे एक प्रकार से दूरबीन और कम्पास के बीच का मिश्रण थे और क्षितिज पर दृश्य बिंदुओं और ऊर्ध्वाधर विमानों के बीच के कोणों को मापते थे। अब तक नगर निगम सर्वेक्षणकर्ता इनके तिपाई संस्करण का उपयोग करते हैं।

वर्तमान में, थियोडोलाइट्स के लेजर-सुसज्जित संस्करणों के साथ सटीक माप लिया जा सकता है

आजकल एवरेस्ट की चोटी पर जीपीएस उपग्रहों के माध्यम से उसकी सटीक स्थिति जानने के लिए उपग्रह नेविगेशन मार्कर स्थापित किया गया है।

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बर्फ की मात्रा को मापने के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार का भी उपयोग किया जा सकता है और इसकी सबसे ऊंची चट्टान के शीर्ष पर बर्फ मौजूद है।

इतनी है माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई

पहले माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर थी। लेकिन 2020 में नेपाल और चीन ने संयुक्त बयान जारी कर इसकी नई ऊंचाई के बारे में बताते हुए कहा था कि इसकी वर्तमान ऊंचाई अब 8848।86 मीटर है। यानी कि इसकी ऊंचाई में ।86 मीटर की बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि यह तय है कि आगे भी इसकी ऊंचाई बढ़ेगी।

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