नई दिल्ली। हाल ही में एक मुस्लिम धर्म गुरू ने फेसबुक के इमोजी के खिलाफ फतवा जारी किया था और कहा था कि इस्लाम में इमोजी का इस्तेमाल करना धर्म के खिलाफ है। इसके अलावा आए दिन मीडिया की सुर्खियों में हम सुनते रहते हैं कि फलाने धर्म गुरू ने किसी व्यक्ति के खिलाफ फतवा जारी किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये ‘फतवा’ है क्या? और क्या इसे इस्लाम धर्म में कोई भी जारी कर सकता है?
क्या है फतवा?
फतवा को मुस्लिम धर्मगुरूओं के अनुसार आसान शब्दों में समझें तो इस्लाम से जुड़े किसी मसले पर कुरान और हदीस की रोशनी में जो हुक्म जारी किया जाता है उसे फतवा कहते हैं। हालांकि इसे हर मौलवी या इमाम नहीं जारी कर सकता है। फतवा को हमेशा कोई मुफ्ती ही जारी करता है। इस्लाम धर्म में मुफ्ती बनने के लिए शरिया कानून, कुरान और हदीस का गहन अध्ययन जरूरी होता है।
भारत में फतवे का नहीं होता है कोई असर
भारत में फतवे के असर को देखें तो यहां इसे जारी करना बेमानी है। क्योंकि शरिया कानून से चलने वाले देशों में ही फतवे का लोगों की जिंदगी पर असर होता है। क्योंकि वहां इसे कानूनन लागू कराया जा सकता है। लेकिन हिंदुस्तान में इस्लामी कानून को लागू करवाने के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए यहां फतवा जारी करना बेमानी है। भारत में फतवे को ज्यादा से ज्यादा किसी मुफ्ती की राय मान सकते हैं।
भारत में भी फतवे का हुआ है गलत इस्तेमाल
हालांकि, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत के कुछ इलाकों में मौलवियों ने फतवे का गलत इस्तेमाल किया है। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि फतवा केवल मुफ्ती जारी कर सकता है। लेकिन कई बार देखा गया है कि फतवा मौलवी जारी कर देते हैं और उन्हें जबरदस्ती लागू भी कराते हैं।