नई दिल्ली। एग्जाम हो या फिर नोटबुक बनाना, हम लिखने के लिए काली स्याही की जगह नीली स्याही का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ऐसा क्यों करते हैं? इस तथ्य के बारे में ज्यादातर लोग को पता नहीं होगा। चलिए आज हम आपको बतातें कि ऐसा क्यों होता है।
अंग्रेजों ने बदल दिया स्याही का रंग
भौतिकी के शिक्षक राजेंद्र कुमार चौधरी के अनुसार, पहले भारत के लोग केवल काली स्याही का ही उपयोग करते थे, क्योंकि ज्यादातर भारतीयों की आंखें काली होती हैं। इस कारण से, हम काली स्याही को बेहतर तरीके से देख सकते थे। लेकिन ये स्याही का रंग काले से नीला यूरोपियों के शासन में हुआ। क्योंकि अग्रेजों की पुतलियों का रंग अधिकतर नीला होता था। ऐसे में वे नीली स्याही का प्रयोग करने लगे। हमने भी धीरे-धीरे उनके ही रंग को अपना लिया।
रंगीन पेन का इतिहास
मालूम हो कि पहले स्याही का उपयोग सिर्फ स्कूलों में होता था और ये स्कूल अंग्रेजों के नियंत्रण में थे। कई स्कूलों में अभी भी केवल नीली स्याही के प्रयोग की ही अनुमति है। वहीं लाल और हरी स्याही का उपयोग अधिकारियों को करने की अनुमति है। लेकिन एक जमाने में इसका दुरुपयोग होने लगा। कोई भी इसका उपयोग करने लगा था। कोई भी प्रमोशन पाकर राजपत्रित पदाधिकारी बनता था तो सबसे पहले हरा पेन खरीदता था। सामान्य धारणा थी कि राजपत्रित पदाधिकारी हरे पेन का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन साल 2014 में किसी भी स्तर के सरकार पदाधिकारी के रंगीन पेन यूज करने पर रोक लगा दी गई।
खड़ा हो गया था विवाद?
पूर्व मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने अपनी पुस्तक ‘गवर्नेंस’ में एक घटना का जिक्र किया है। दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में कोई प्रस्ताव पास होना था। फाइल इस्पात मंत्रालय में आई थी। दो छोटे अधिकारियों ने हरे पेन से फाइल पर टिप्पणी लिख दी। इसके बाद कैबिनेट सचिव ने जैसे ही फाइल देखी तो वह भड़क गए। अफसरों से स्पष्टीकरण हुआ। अफसरों ने पूछा कि वह कौन सा नियम है जो उन्हें हरे पेन का इस्तेमाल करने से रोकता है?
वर्ष 2000 में निकला बीच का रास्ता
इस जवाब को ढूंढने में करब 18 महीने लग गए पर उत्तर नहीं मिल पाया। इससे संबंधित नियमों के बारे में तीन मंत्रालयों से पूछा गया। किसी के पास जवाब नहीं था। फाइल रक्षा मंत्रालय तक गई। रंगीन कलम के इस्तेमाल पर तीनों सेनाओं में भी अपने खुद के अलग अलग नियम थे। इस संबंध में कोई नियमावली नहीं मिल पाई। ऐसे में साल 2000 में सरकार ने आदेश निकाला कि संयुक्त सचिव (जॉइंट सेक्रेटरी) और उसके ऊपर के अफसर रंगीन कलम का प्रयोग कर सकते हैं। बतादें कि संयुक्त सचिव जिलाधिकारी स्तर के पदाधिकारी होते हैं। लेकन साल 2014 तक यह नियम चला फिर सभी के रंगीन पेन के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई।