आम तौर पर आपने देखा होगा कि पढ़ाई लिखाई में अधिकतर लोग अपना सीधे हाथ का इस्तेमाल करते है। इतना ही नहीं अपने दैनिक कामों को पूरा करने के लिए कई लोग सीधे हाथ का ही इस्तेमाल करते हैं। हालांकि यह एक तरह से ह्यूमन नेचर है जिसके बारे में शायद ही बहुम कम लोग जानते है। लेकिन इसके पीछे विज्ञान का समावेश है। एक रिसर्च के अनुसार दुनिया में करीब 90 प्रतिशत लोग लिखने के लिए अपने सीधे हाथ का इस्तेमाल करते है। आइए बताते है आखिर लोग सीधे हाथ से ही क्यों लिखते है।
यह तो आप जानते ही होंगे
लगभग सभी को पता है कि हमारे दिमाग का दांया भाग हमारे शरीर के बाएं के अंगों को कंट्रोल में रखता है। वही दिमाग का बाएं भाग हमारे शरीर के दांए भाग को कंट्रोल करता है। सीधे तौर पर समझा जाए तो जब हम किसी भाषा को लिखना या बोलना सीखते है तो हमारे दिमाग का दांया भाग काफी सक्रिय रहता है।
सीधे हाथ से क्यों लिखते है लोग
अब हम बात करते है की आखिर लोग सीधे हाथ से क्यों लिखते है? दरअसल हमारे दिमाग की सबसे पहली प्राथमिकता होता है कम से कम ऊर्जा को खर्च करना। माना जाता है कि कई लोगों के दिमाग में ऊर्जा प्रबंधन की कला हाती है। लेफ्ट हैंड से लिखने की स्थिति में हमारा दिमाग सभी भाषा के डाटा को प्रोसेस करके राइट हिस्से वाले दिमाग में ट्रान्सफर करता है और फिर राइट वाला दिमाग उन सिग्नल्स को समझ कर हमारे लेफ्ट हैंड को लिखने का आदेश देता है तो इस पूरी ही प्रक्रिया में अतिरिक्त उर्जा और समय लगता हैं। ऐसी स्थिति में हमारा दिमाग उर्जा और समय को बचाने के लिए हमें सीधे हाथ से लिखने को मजबूर कर देता है।
कुछ लिखते है उल्टे हाथ से
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ऐसे 10 प्रतिशत लोग है जो उल्टे हाथ से लिखते है। दरअसल बचपन में बहुत से लोगों के दिमाग में ऊर्जा प्रबंधन की कला नहीं होती है। जिसके चलते ऐसे लोगों का दिमाग उन्हें सीधे हाथ से लिखने के लिए मजबूर नहीं करता है। ऐसे लोग अधिकतर कामों को उल्टे हाथ से ही करते है। या फिर किसी भी हाथ से कुछ भी करने में सक्षम होते हैं। ऐसे लोगों को एक हाथ के इस्तेमाल की बाध्यता नहीं होती है।