नई दिल्ली। फ्लाइट में जो लोग अक्सर सफर किया करते हैं उन्हें मालूम ही होगा की फ्लाइट टेक ऑफ होने से पहले कितने नियम कायदे बताए जाते हैं। यदि आपने विमान में अभी तक सफर नहीं किया है तो आपके लिए भी ये खबर बड़े काम की है। उदाहरण के तौर पर फ्लाइट टेक ऑफ होने से पहले सीट बेल्ट पहनने के लिए बोला जाता है। कई नियम ऐसे है कि जिनके पीछे का तर्क समझ में आता है लेकिन, कई तो ऐसे है जिनके तर्क का पता नही चलता है। ऐसे ही नियमों से एक है टेकऑफ और लैंडिग के दौरान केबिन की रोशनी कम कर दी जाती है। चलिए तो हम आपको बताते है आखिर ऐसे क्या किया जाता है।
क्यों बंद हो जाती है लाइट
एयरलाइंस को आज टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान प्लेन लाइट बंद करने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि हमारी आंखों को अंधेरे से तालमेल बिठाने में समय लगता है। अंधेरे को समायोजित करने के लिए हमारी आंखों को 10 से 30 मिनट के बीच का समय लग सकते हैं। आपातकाल के दौरान हवाई जहाज को सुरक्षित रूप से खाली करने की बात आने पर ये कुछ ही मिनटों में सब कुछ बदल सकते हैं।
पायलट पैट्रिक ने बताई रोशनी कम होने की वजह
एयरलाइन पायलट पैट्रिक स्मिथ ने टेलीग्राफ को बताया कि रोशनी को कम करने से आपकी आंखें अंधेरे को पूर्व-समायोजित करने की अनुमति देती हैं। ताकि आप आने पर अचानक से कुछ देख ही ना सके और आसानी से दरवाजे को आराम से देख सके। उन्होंने कहा कि हवाई जहाज की रोशनी कम होने या बंद होने पर आपातकालीन रास्ता और संकेत भी अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
एक और कारण है कि लाइट को विशेष रूप से टेकऑफ़ और लैंडिंग पर बंद कर दिया जाता है क्योंकि इसी समय पर सबसे ज्यादा विमान दुर्घटनाएं होती हैं। इसलिए, एयरलाइंस आज टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान रोशनी बंद कर देती है।