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Punishments of Karma : मृत्यू के बाद कौन भोगता है हमारे पापों की सजा?

Punishments of Karma : मृत्यू के बाद कौन भोगता है हमारे पापों की सजा? Who suffers after death for our sins Punishments of Karma vkj

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deepak
Punishments of Karma : मृत्यू के बाद कौन भोगता है हमारे पापों की सजा?

काहू ना कोउ सुख दुख कर दाता। निज कृत कर्म भोग सबु भ्राता।। आर्थत कोई किसी को सुख दुख देने वाला नहीं है। और सब अपने ही कर्मो का फल भोगते है। लेकिन प्रशन यह उठता है कि हमारे शरीर को एक ना एक दिन मिट जाना है। ऐसे में हमारे कर्मो का फल कौन भोगेगा। क्योंकि भोगने के लिए शरीर का होना भी जरूरी है। लेकिन जब ये शरीर ही नहीं बचेगा तो कर्मो की सजा किसे और कैसे मिलेंगी।

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कौन भोगता है हमारे पापों की सजा?

इस प्रशन का उत्तर जानने से पहले आपको एक तथ्य बताते है। जो शायद बहुत कम ही लोग जानते है। इंसान के पास एक नहीं बल्कि तीन शरीर होते है। दरअसल, आत्मा एक नहीं बल्कि तीन शरीरों से ढ़की हुई रहती है। पहला बाहरी शरीर है जिसे हम भौतिक या स्थूल शरीर कहते है। दूसरा आवरण होता है सूक्ष्म शरीर और सबसे अंदर का आवरण कारण शरीर होता है।

स्थूल शरीर - स्थूल शरीर एक तरह का नश्वर शरीर है। जो एक जीव जन्म के समय धारण करता है। जो पांच तत्वों से बना होता है। इसे आप आत्मा का अस्थाई निवास भी कह सकते है। जो मृत्यू के साथ ही नष्ट हो जाता है। स्थूल शरीर को घर के समान बताया गया है। इसके जरिए आत्मा बाहरी संसार से संपर्क बनाकर रखती है।

सूक्ष्म शरीर - इस प्रकार के शरीर को लिंग शरीर भी कहते है। क्योंकि इसी के द्वारा पूर्व जन्म और भविष्य में लेने वाले जन्मों के संकेत मिलते है। इस शरीर को आम भाषा में मानस शरीर कहते है और स्थूल शरीर के विपरित इसे न तो देखा जा सकता है। और न ही छूकर महसूस कर सकते है। सूक्ष्म शरीर, सूक्ष्म तत्वों से बना होता है। और ये भौतिक शरीर से अधिक कार्यशील होता है। जिस प्रकार स्थूल शरीर का अनुभव जाग्रत अवस्था में होता है। उसी प्रकार सूक्ष्म शरीर का अनुभव हमे स्प्न अवस्था में होता है। मृत्यू होने पर ये सूक्ष्म शरीर नष्ट नहीं होता। बल्कि ये आत्मा के साथ अगले जन्म में मिलने वाले शरीर में भी जाता है।

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कारण शरीर - तीनों शरीरों में से सबसे अंदर वाले शरीर को कारण शरीर कहते है और यही आत्मा को ढ़ककर रखता है। यह अवर्णिनय और अनादि है। स्थूल और सूक्ष्म इन दोनों ही शरीरों का मूल्य कारण ही है। जिसे अपने वास्विक रूप का ज्ञान ही नहीं होता कारण शरीर भी आत्मा के साथ एक के बाद एक स्थूल शरीर में प्रवेश करता है। स्थूल शरीर हमारी मृत्यू के बाद जकलर नष्ट हो जाता है। यानी हमारा जो सूक्ष्म शरीर है जो कभी मरता नहीं और यही हमारा वो शरीर हैं जो हमारे द्वारा किए गए कर्मो को भोगता है। सूक्ष्म शरीर ही यमलोक जाता है जहां हमारे कर्मो का लेखा जोखा तैयार होता है। इसके अलावा हमे कर्मो के आधार पर कई तरह की सजाएं भोजना पड़ती है।

नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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