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Vande Bharat Train: कौन है वंदे भारत ट्रेन के जनक? जिनकी बदौलत पटरियों पर दौड़ रही स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन

Vande Bharat Train: कौन है वंदे भारत ट्रेन के जनक? जिनकी बदौलत पटरियों पर दौड़ रही स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन Vande Bharat Train: Who is the father of Vande Bharat train? Due to which the indigenous semi-high speed train running on the tracks

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Bansal News
Vande Bharat Train: कौन है वंदे भारत ट्रेन के जनक? जिनकी बदौलत पटरियों पर दौड़ रही स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन

Vande Bharat Train: सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन (Vande Bharat Train) भारत में कई जगहों पर सफलतापूर्वक दौड़ रही है। इसे सरकार आने वाले सालों में देश के सभी भागों में चलाने जा रही है। लेकिन क्या आप जानते है कि इस अद्भुत सेमी-हाई स्पीड ट्रेन की नींव किसने रखी थी या फिर कह ले वंदे भारत ट्रेनों का जनक कौन है? आईए जानते है।

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बता दें कि सुधांशु मणि को भारत में वंदे भारत ट्रेनों का जनक माना जाता है। 38 साल के लंबे करियर के साथ भारतीय रेलवे के एक इंजिनियर अधिकारी सुधांशु मणि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पीछे मास्टरमाइंड थे। लगभग 18 महीने में ही ट्रेन की डिलीवरी सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

बता दें कि यह सेमी-हाई स्पीड ट्रेन सुधांशु का एक सपना था, जब वे चेन्नई की इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री में महाप्रबंधक थे। उन्होंने एक ऑटेमेटिक ट्रेन की कल्पना की जो 180 किमी की स्पीड से चल सकती है और विदेशों से आयात किए जाने वाले सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों से काफी सस्ती थी।

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जब रेलवे 2016 में एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन आयात करने की योजना बना रहा था, तब सुधांशु इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में महाप्रबंधक बने। उन्होंने स्वदेशी तकनीक के साथ एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन विकसित करने का प्रस्तावित पेश किया जो आयातित ट्रेनों को टक्कर दे सके। इस प्रस्ताव पर शुरू में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने संदेह किया, लेकिन सुधांशु की दृढ़ता के देखकर परियोजना को मंजूरी दे दी गई।

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अब बारी ट्रेन को तैयार करने की

सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक था वंदे भारत ट्रेन लिए सेमी-हाई स्पीड बोगियों का फ्रेम तैयार करना। सुधांशु को कानपुर में एक कंपनी मिली जो फ्रेम बना सकती थी और इसे इंटीग्रल कोच फैक्ट्री को सौंप दिया। 50 रेलवे इंजीनियरों और 500 फैक्ट्री कर्मचारियों की एक टीम ने तब वंदे भारत के प्रोटोटाइप रैक को केवल 18 महीनों में डिजाइन और तैयार करने के लिए लगातार काम किया।

इस ट्रेन का नाम पहले ट्रेन 18 रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया। गांधीनगर-मुंबई के बीच ट्रायल के दौरान वंदे भारत एक्सप्रेस ने बुलेट ट्रेन को भी महज 52 सेकंड में मात दे दी। सुधांशु मणि का बिना इंजन के सेमी-हाई स्पीड ट्रेन चलाने का सपना आखिरकार वंदे भारत एक्सप्रेस के लॉन्च के साथ पूरा हो गया। यही वजह है कि सुधांशु मणि को भारत में वंदे भारत ट्रेनों का जनक माना जाता है।

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