BhuLekh: पूर भारत में अब लोगों के लिए 22 भाषाओं में भू अभिलेख से भूमि का रिकॉर्ड, नक्शा, खसरा खतौनी मिल सकते हैं। भारत सरकार द्वारा यह फैसला पूरे भारत में भूमि की खरीदी और बिक्री पर के लिए सरल बनाए जाने के लिए लिया है। इस बड़े बदलाव और सुधार के पीछे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के लिए साल 2021 में प्राप्त हुई एक शिकायत के लिए माना जा रहा है।
देशभर में संपत्ति की खरीदी-बिक्री में आसानी हो सकेगी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जल्दी है देशभर में 22 भाषाओं में भू अभिलेख से भूमि का रिकॉर्ड मिल सकेगा, जिसके चलते देशभर संपत्ति की खरीदी-बिक्री आसानी से हो सकेगी। भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इस बदलाव के लिए पूरे देश में लागू किया जाएगा।
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भूमि की जानकारी पाने में कठिनाई आ रही थी
दरअसल, भूमि की जानकारी पाने में कठिनाई आने के संबंध में वर्ष 2021 में एक शिकायत पीएमओ के लिए मिली थी, जिसके बाद पीएमओ से इस विषय पर विचार करते हुए बदलाव किए जाने की निर्देश दिए गए थे। इस संबंध में ग्रामीण विकास मंत्री शांडिल्य गिरिराज सिंह ने जानकारी दी।
देशभर में बहुभाषी भूमि रिकॉर्ड परियोजना जून-जुलाई तक
मंत्री के कहे अनुसार परियोजना की घोषणा के बाद विभाग में इसे लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री ने कहा कि “देशभर में बहुभाषी भूमि रिकॉर्ड परियोजना जून-जुलाई तक शुरू होने की संभावना है। ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा जल्द ही इसका निर्णय लिया जाएगा।”
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पायलट प्रोजेक्ट किया लॉन्च
जानकारी के मुताबिक सबसे पहले इस बदलाव का पायलट प्रोजेक्ट गुजरात, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पुडुचेरी के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में लॉन्च किया गया था। जल्दी ही पूरे देश में इस बदलाव के लिए लागू कर दिया जाएगा।
अभी स्थानीय भाषा में बनाया जाता है भूमि का रिकार्ड
जानकारी दी गई है कि फिल्हाल राज्य सरकारों द्वारा आरओआर, भूखंड का आकार, भूमि के स्थान का राज्य सरकारों द्वारा स्थानीय भाषा में बनाया जाता है, जिसके चलते दूसरे राज्यों से संपत्ति खरीदने और बिक्री करने में परेशानी का समना करना पड़ता है। अब यह बदलाव होने से यह परेशान दूर हो सकेगी।
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DILRMP के तहत दिया जाएगा ULPIN
दरअसल, पूरे देश में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत, केंद्र सरकार द्वारा भूमि संबंधी सभी डेटा के लिए कम्प्यूटरीकृत कर रही है। इसके साथ ही भू-अभिलेखों और भू-सम्पत्ति के नक्शे के लिए भी इसमें शामिल किया गया है। इस प्रसेस के जरिए विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) देने की परियोजना लागू की जाएगी।