दुनिया में चीजें तेजी से छोटी होती जा रही हैं। अब ज्यादातर चीजों को लोग कोड नेम देने लगे हैं। इस वजह से कई बार आम इंसान को इन कोड्स का मतलब समझने में काफी समस्या होती है। ऐसा ही कुछ हुआ है जेवर एयरपोर्ट के साथ। हाल में इसे एक कोड DXN दिया गया है। चलिए जानते हैं कि आखिर इसका मतलब क्या होता है और किसी एयरपोर्ट को ये कब दिया जाता है।
क्या होता DXN कोड का मलतब
ये एक खास तरह का कोड होता है, जो एयरपोर्ट्स को दिया जाता है। दरअसल, जब आप कभी प्लेन टिकट बुक कराते हैं तो आपके टिकट पर हमेशा एक कोड लिखा होता है, जिससे ये पता चल जाता है कि आप कहां से आ रहे हैं या कहां जा रहे हैं। DXN कोड भी ऐसा ही है। ये कोड खासतौर से उन एयरपोर्ट्स को दिया जाता है जो एनसीआर में हैं। यानी जेवर एयरपोर्ट को भी अब एनसीआर एयरपोर्ट्स में गिना जाएगा।
कौन जारी करता है ये कोड
किसी भी एयरपोर्ट के लिए कोड जारी करने का काम इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) करता है। ये संस्था कोड जारी करने के लिए ए से जेड तक के अक्षरों का इस्तेमाल करता है।हालांकि, इसमें सिर्फ तीन ही अक्षरों का इस्तेमाल किया जाए, इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। ऐसा नहीं है कि ये काम सिर्फ भारत के एयरपोर्ट्स के लिए ही होता है। पूरी दुनिया में जितने भी एयरपोर्ट हैं, सभी के लिए ये संस्था कोड जारी करती है।
अगले साल तक बन जाएगा जेवर एयरपोर्ट
जेवर एयरपोर्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने एयरपोर्ट को कोडनेम मिलने पर इसे एयरपोर्ट के परिचालन की दिशा में मील का पत्थर बताया। उनका कहना है कि एयरपोर्ट को कोडनेम मिलने से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कस्टमर्स की ओर एक कदम आगे बढ़ गया है। उनका कहना है कि 2024 के अंत तक एयरपोर्ट बनकर तैयार हो जाएगा और यहां से विदेशों के लिए भी फ्लाइट मिलेगी।
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