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Easter Eggs: ईस्टर से अंडे का क्या संबंध है, क्या आप जानते हैं क्या है ईस्टर की कहानी?

ईस्टर से अंडे का क्या संबंध है? क्या आप जानते हैं क्या है ईस्टर की कहानी?

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Bansal News
Easter Eggs: ईस्टर से अंडे का क्या संबंध है, क्या आप जानते हैं क्या है ईस्टर की कहानी?

What is Easter: गुड फ्राइडे के तीसरे दिन प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुए थे। ईस्टर इसी उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह खुशी का पर्व है, निराशा के ऊपर आशा की जीत का त्यौहार है।

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जब बात ईस्टर की हो और ईस्टर के अंडे (Easter Egg) की बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है। दरअसल, ये दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची बन चुके हैं।

ईस्टर अंडे का प्रतीकात्मक महत्त्व

सामान्य रूप से अंडे को प्रजनन-शक्ति और पुनर्जन्म का पारंपरिक प्रतीक माना जाता है। लेकिन ईसाई धर्म में अंडे को ईसा मसीह के खाली कब्र का प्रतीक माना जाता हैं, जिसमें वे फिर से जीवित हुए थे।

ईस्टर अंडे (Easter Egg), जो खास रूप से ईस्टर के उत्सव के लिए सजाया जाता है, को ‘पास्कल अंडा’ भी कहते हैं। प्राचीन समय में ईस्टर के अंडे को लाल से रंग जाता था, जो ईसा मसीह के उस रक्त की याद दिलाता था, जो सूली पर चढ़ाने के दौरान उनके बदन से निकला था।

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यह भी  पढ़ें: Easter Significance: ईस्टर क्यों मनाते हैं? जानिए क्या संदेश देता है ईसाईयों का यह महान पर्व

ईस्टर की कहानी

ईसा मसीह को मृत्युदंड देने और क्रूस पर चढ़ाए जाने के बाद उनके अनुयायी बहुत दुखी और निराश हो गए थे। क्रूसीफिक्सन (Crucifixion) की यह घटना शुक्रवार को हुई थी। शनिवार को ईसा का शव कब्र में रखा गया था। अगले दिन रविवार को ईसा मसीह फिर से जी उठे थे।

ईसा मसीह के अनुयायी बहुत ही दुखी थे। वे सभी विलाप कर रहे थे। यीशु को याद कर रहे थे। तभी एक महिला ने आकर उनसे कहा, “प्रभु जिन्दा हो गए हैं।” अनुयायियों को विश्वास नहीं हुआ. फिर महिला ने पूरे विश्वास से कहा, “मैंने उन्हें जीवित देखा है।”

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इसके बाद अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने महिला से विस्तार में सारी घटना के बारे में पूछा। महिला ने कहा- जब वह प्रार्थना करने कब्र पर गई तो उसने देखा कि कब्र को ढंकने वाला पत्थर अपने स्थान पर नहीं था। जब उसने कब्र में झाँक कर देखा तो पाया कि प्रभु यीशु का शव भी वहां से गायब था।

फिर महिला ने आगे बताया कि तभी वहां एक देवदूत प्रकट हुआ। देवदूत ने कहा- तुम यहां प्रभु यीशु की प्रार्थना करने आई हो, जबकि प्रभु तो जीवित हो उठे हैं। उन्हें इस कब्र में नहीं. आस-पास ढूंढो, वे मिल जाएंगे। ये कहकर देवदूत चले गए।

यह सुन वह रोने लगी. तभी प्रभु यीशु वहां प्रकट हुए और उससे बोले- मत रोओ, मैं जीवित हो उठा हूं। जाओ सबसे कह दो- परम पिता परमेश्वर का पुत्र फिर धरती पर आ गया है। इतना कहकर प्रभु अदृश्य हो गए।

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कहते हैं, तभी से इस दिन को प्रत्येक वर्ष (गुड फ्राइडे के तीसरे दिन) ईस्टर मनाया जाता है। चूंकि यह रविवार (संडे) को मनाया जाता है, इसलिए इसे ईस्टर संडे भी कहते हैं। बाइबिल के अनुसार, जीवित होने के बाद ईसा मसीह 40 दिनों तक धरती पर रहे। अपने अनुयायियों और शिष्यों को ज्ञान और उपदेश दिया। नीति, अनीति, अच्छा-बुरा, धर्म-कर्म, शांति और मानवता का पाठ पढ़ाया। इसके बाद यीशु परमेश्वर के स्वर्ग में वापस चले गए।

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