Masik Shivaratri in Hindi: मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा होती है। इस व्रत के पालन और पूजा से शिव-पार्वती की आराधना करके व्यक्ति-मात्र को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
ग्रंथों के अनुसार, महिलाएं और पुरुष दोनों इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत के माध्यम से साधक-साधिका अपने परिवार, कुटुंब और समाज में शुचिता, सुख, शांति, विद्या, आरोग्य, धन-ऐश्वर्य, समृद्धि और अन्य मनोरथ और कामना कर अभीष्ट की प्राप्ति करते हैं।
मासिक शिवरात्रि क्या है – What is Masik Shivaratri in Hindi?
हिन्दू धर्मशास्त्र के मुताबिक़, हर महीने की चतुर्दशी काफी महत्वपूर्ण है। इसमें भी हर मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का काफी विशिष्ट स्थान है।
ध्यातव्य है कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव-पार्वती का महासंगम हुआ था। जिसे पूर्ण शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसमें चराचर जगत और प्रकृति के सभी जीव-अजीव भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।
चूंकि यह तिथि देवाधिदेव भगवान शिव और जगधात्री आदिशक्ति स्वरूपा देवी पार्वती को समर्पित है। इसलिए हर माह की चतुर्दशी तिथि भी इन्हीं दोनों अर्पित है। यही कारण है हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि पूजन का विधान है।
शास्त्रोक्त मान्यता है कि यह व्रत भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है।
इसे करने से शारीरिक व्याधियों, जीवन की परेशानियों और चिंताओं से मुक्ति मिलती है। धन-धान्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
मासिक शिवरात्रि प्रमुख उद्देश्य क्या है?
हिन्दू धर्म की एक सबसे विशेष बात यह है कि दया, दान, तपस्या, व्रत, पूजा-पाठ, भक्ति आदि का एक ही प्रमुख उद्देश्य है। वह है, इहलोक को भोग कर मोक्ष की प्राप्ति करना।
मासिक शिवरात्रि पूजन का भी मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा और व्रत के माध्यम से इस संसार के कार्यों और जिम्मेदारियों को पूरा कर ‘मोक्ष की प्राप्ति की कामना’ करना है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि विशेष रूप से आशुतोष भगवान शिव सहित जगधात्री भगवान शिव की अर्धांगिनी देवी पार्वती की आराधना और अर्चना का उत्तम अवसर प्रदान करता है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि:
इस व्रत और पूजन को करने से स्वास्थ्य लाभ सहित आत्मिक उन्नति होती है। व्यक्ति मात्र को मन-शुद्धि, भक्ति और आध्यात्मिक अवलोकन का अवसर प्राप्त होता है।
साधक-साधिका मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करके उनसे आध्यात्मिक संवाद स्थापित कर उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं।
शिव-पार्वती की पूजा-आराधना से मनुष्यमात्र के जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
इस व्रत के द्वारा महिलाओं में शारीरिक, मानसिक, धार्मिक और आत्मिक शक्ति में अभिवृद्धि होती है और वे गृहलक्ष्मी के रूप में शक्ति प्राप्ति के प्रति संकल्पित होती हैं।
मासिक शिवरात्रि का एक विशेष विधान
जिस भी महीने की मासिक शिवरात्रि व्रत और पूजा आप करते हैं, उसके साथ एक विशेष विधान जरुर करें। इस विधान का पालन काफी फलदायी सिद्ध होता है।
यहां यह ध्यान रखना है कि किस मासिक शिवरात्रि के आसपास आगामी कौन-सा पर्व, त्योहार या व्रत है। उस व्रत के मुख्य उपास्य यानी देवता या देवी कौन हैं। इसे इस उदाहरण से भली-भांति समझ सकते हैं।
जैसे, सितंबर 2023 में भाद्रपद (भादो) महीने की मासिक शिवरात्रि आज 13 सितंबर को पड़ी है। इसके ठीक आगे विश्वकर्मा पूजा (17 सितंबर), हरितालिका तीज (18 सितंबर) और गणेश (विनायक) चतुर्थी (19 सितंबर) पूजन है।
यहां तीनों व्रत-त्योहार के प्रमुख देवी-देवता का आह्वान कर उनको आमंत्रित करना चाहिए। उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से उस महीने की मासिक शिवरात्रि का फल सहित आनेवाली पूजा और अनुष्ठान का संकल्प, सफलता और फल सुनिश्चित हो जाता है।
मासिक शिवरात्रि को शिव परिवार का पूजन करें
मासिक शिवरात्रि के सुअवसर पर शिव परिवार के सभी सदस्यों की विधिवत पूजा और अर्चना करनी चाहिए। इससे यह पूजन और भी अधिक प्रभावकारी हो जाता है।
यूं तो शिव परिवार काफी विराट और विस्तृत है। लेकिन इसमें शिव और पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिकेय, नंदी, शेर चूहा, मोर, नाग और चंद्रमा शामिल हैं। ये सभी किसी न किसी प्रकार से एक एक-दूसरे के विराधी हैं, लेकिन शिव परिवार के अहम सदस्य हैं, जो एक साथ रहते हैं।
इन सभी की आराधना साधक-साधिका को विराधों और मतभेदों की बीच होने के बाद भी साथ रहने और पारिवारिक सामंजस्य को बढ़ावा देने की प्रवृति और शक्ति देता है। इसलिए मासिक शिवरात्रि के दिन इनकी पूजा की जाती है।
मासिक शिवरात्रि के लिए आवश्यक पूजन सामग्री
मासिक शिवरात्रि की पूजा श्रद्धापूर्वक और ध्यानपूर्वक करनी चाहिए। मासिक शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव की शिवलिंग, मूर्ति या चित्र को सामने रख कर शुद्ध और पवित्र मन से रूप से पूजा की जाती है और अन्य पूजन सामग्री और मन्त्रों का उपयोग किया जाता है।
शुचिता, पवित्रता और स्वच्छता: पूजा करने से पहले अपने शरीर, वस्त्र और आसन शुद्ध, पवित्र और स्वच्छ कर लेना चाहिए।
पूजा स्थल: एक पवित्र और शांत पूजन-स्थल का चयन करना चाहिए, जो निर्विघ्न पूजा के लिए उपयुक्त हो।
पूजन सामग्री: शिवलिंग या शिव की मूर्ति या चित्र, अक्षत, सुगंधि, दीप और दीप बाती, धूप, अगरबत्ती, कर्पूर, लोबान, फल, फूल, मिष्टान्न, दूध-दही, घी, शहद, गंगाजल, शुद्ध जल, बिल्वपत्र, धतूरा, श्रीफल, प्रसाद सामग्री, रोली-चन्दन, मौली, पूजा की थाली, देव-वस्त्र और माला आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
मासिक शिवरात्रि की पूजा की विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले जाग कर शौच-स्नानादि से निवृत होकर भगवान शिव और देवे पार्वती का ध्यादन करें और व्रत-उपवास का संकल्पि लें।
आइए जानते हैं स्टेप-बाय-स्टेप मासिक शिवरात्रि की सामान्य और अनुकरणीय पूजा विधि:
1
तन और मन की शुद्धि के लिए आचमन कर लें। पूजा का संकल्प लेकर शिव-पार्वती का ध्यान करें।
2
गंगाजल, दूध, घी और शहद से भगवान का अभिषेक करें।
3
उन्हें वस्त्र अर्पित करें और मौली (रक्षासूत्र) बांधें।
4
शिवलिंग, मूर्ति या चित्र पर फूल, गंध और अक्षत (अरवा चावल) चढ़ाएं।
5
दीपक जलाएं और धूप दिखाएं।
6
शिव मंत्रों का जाप करते रहें, जैसे “ॐ नमः शिवाय” या अन्य शिव मंत्र।
7
पूजा करते समय पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, श्रीफल आदि चढ़ाएं।
8
भगवान को फल, फूल, मिष्टान्न आदि अर्पित करें। फल काटकर अर्पित कर सकते हैं।
9
फल, मिठाई और प्रसाद सामग्री का भोग लगाएं।
10
धूप-दीप से भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
11
मन में भगवान शिव की प्रार्थना करें और उनसे आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति के लिए प्रार्थना करें।
मासिक शिवरात्रि का सामान्य उपवास
तन और मन शुद्धि के साथ अनेक साधक और साधिका मासिक शिवरात्रि का उपवास रखते हैं। इस पूजन की उपवास विधि भी हिन्दू धर्म के अन्य उपवासों की तरह ही है।
प्रायः यह उपवास सुबह से शाम तक अधिक प्रचलित है। यह अल्पाहार लेकर भी रखा जाता है, जिसमें साबूदाना, कुट्टू आटा से बने आहार, फल, दूध, शर्बत आदि का सेवन दिन में एक बार किया जाता है। इसमें बहुत से लोग चाय-कॉफ़ी आदि ले लेते हैं।
संध्या काल में भगवान शिव और देवी पार्वती की विधिवत पूजा-पाठ के बाद व्रत को मिष्टान्न से तोड़ा जाता है। इसके बाद नमकीन आहार भी ग्रहण किया जाता है।
मासिक शिवरात्रि का कठिन उपवास
मासिक शिवरात्रि के दिन के सूर्योदय के बाद अगले दिन तक के सूर्योदय तक खाने-पीने का त्याग यानी 24 घंटे का उपवास किया जाता है। हालांकि सायंकाल में केवल फलाहार लिया जा सकता है।
अनेक साधक-साधिका विशेष मनोकामना से पूर्ण निराहार और निर्जला उपवास भी रखते हैं। यह उनकी श्रद्धा, आस्था, सामर्थ्य और स्वेच्छा पर निर्भर करता है।
दिन की शुरुआत, दोपहर के बाद और संध्या में शिव मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करें।
इस दिन दान-पुण्य के कार्य करें। भक्ति गीत-संगीत और कीर्तन का आयोजन करें।
सुबह-संध्या शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण करें और अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और पारणा करके व्रत को पूर्ण करें।
इस दौरान चाय-कॉफ़ी, धूम्रपान आदि से पूर्ण परहेज रखा जाता है। साथ ही सभी प्रकार के व्यसनों और सहवास आदि से दूर रहना चाहिए।
मासिक शिवरात्रि पूजा का समापन
उपवास के बाद सभी पूजन-सामग्री को भगवान को पुनः अर्पित करें और अपने जीवन में शिव के आदर्शों का पालन करने का संकल्प लिया जाता है।
ध्यातव्य है कि मासिक शिवरात्रि की पूजा करते समय सम्यक श्रद्धा और उचित अनुष्ठान का पालन करें। यह एक धार्मिक-आध्यात्मिक अवसर है जो आपको आत्मा की शुद्धि और उत्थान का विशेष अवसर प्रदान करता है।
व्रत के दौरान ध्यान, जप, और धार्मिक अभ्यास करने से मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है और स्थानिक स्तर पर स्वास्थ्य और सुख-शांति की अनुभूति होती है।
मासिक शिवरात्रि पूजा शिव मंत्र
इस दिन शिव स्तुति, शिवाष्टक, शिव चालीसा, शिव पुराण, देवी चालीसा आदि का पाठ अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं, मासिक शिवरात्रि पूजन के लिए कुछ विशेष मंत्र:
1
ॐ नमः शिवाय:
यह मंत्र भगवान शिव की स्तुति का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंत्र है। इसका जप करने से भगवान शिव के साथ मानसिक और आध्यात्मिक संबंध दृढ होता है।
2
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्:
यह महामृत्युञ्जय मंत्र है। इसका जप करने से व्यक्ति नीरोग रहता है और आयु में वृद्धि होती है।
3
ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ
इस मंत्र के जाप से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। किसी मनोरथ सिद्धि के लिए इस मंत्र जाप अधिक से अधिक करें।
4
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमः
यह मंत्र से भगवान शिव और शक्ति दोनों की आराधना एक साथ की जाती है।
5
ॐ नमो भगवते रुद्राय:
इस मंत्र का जप करने से भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण में वृद्धि होती है।
आप इन मंत्रों से मासिक शिवरात्रि व्रत के दौरान भगवान शिव और इष्ट देवता की पूजा के साथ जप कर सकते हैं। मंत्रों का जप ध्यान और श्रद्धा के साथ करनी चाहिए ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो।
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