नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब शत्रु संपत्ती बेचने की तैयारी में है। इसके लिए मोदी सरकार ने एक हाई लेवल कमिटी का भी पुनर्गठन किया है। कमिटी 12,600 से अधिक अचल संपत्ति का निपटान करेगी। एक अनुमान के मुताबिक इससे सरकारी खजाने को एक लाख करोड़ रूपये तक का फायदा हो सकता है। ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये शत्रु संपत्ती क्या है?
क्या है शत्रु संपत्ती?
आसान भाषा में कहें तो शत्रु संपत्ति का सीधा सा मतलब है कि शुत्रु की संपत्ति या दुशमन की संपत्ति। हालांकि यहां पर दुश्मन कोई व्यक्ति नहीं बल्कि उसे मुल्क का दुश्मन माना जाता है। जैसे- पाकिस्तान और चीन। जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो कई लोग पाकिस्तान चले गए वहीं, कई लोग भारत आए। जो लोग पाकिस्तान गए उनका बहुत कुछ पीछे छूट गया। जैसे- घर-मकान, जमीन-जायदात आदि। इन सब पर सरकार का कब्जा है। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जाता है।
गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में क्या है?
अब सरकार इन्हीं संपत्तियों को बेचने की तैयारी में है। गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक एक एडिशनल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी कमिटी का अध्यक्ष होगा जबकि एक मेंबर सेक्रेटरी के साथ पांच अन्य विभागों के सदस्य होंगे। इस कदम को सरकार द्वारा विभाजन के दौरान और 1962 युद्ध के बाद भारत छोड़ने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के मुद्रीकरण की एक नई कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक दुश्मन संपत्ति
मीडिया रिपोर्ट मुताबिक 12,485 संपत्ति पाकिस्तानी नागरिकता लेने वालों की है और 126 चीन की नागरिकता लेने वालों की। सबसे अधिक 6255 दुश्मन संपत्ति उत्तर प्रदेश में हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 4088, दिल्ली में 658, गोवा में 295, महाराष्ट्र में 207, तेलंगाना में 158, गुजरात में 151, त्रिपुरा में 105 और बिहार में 94 दुश्मन संपत्ति हैं।