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Money Laundering Case: ईडी की प्रॉपर्टी अटैच कार्रवाई क्या है?, जानें इसकी पूरी प्रक्रिया

Money Laundering Case: ईडी यानी की प्रवर्तन निदेशालय ये नाम पिछले कुछ सालों से लगातार ही चर्चा में बना हुआ है। ये एक भारत सरकार की एजेंसी है।

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Agnesh Parashar
Money Laundering Case: ईडी की प्रॉपर्टी अटैच कार्रवाई क्या है?, जानें इसकी पूरी प्रक्रिया

Money Laundering Case: ईडी यानी की प्रवर्तन निदेशालय ये नाम पिछले कुछ सालों से लगातार ही चर्चा में बना हुआ है। ये एक भारत सरकार की एजेंसी है जो किसी भी धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के मामले में कार्रवाई करती है। विपक्षी नेता अक्सर ही ये आरोप लगाते रहते हैं कि ये सरकार के इशारे पर काम करती है।

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मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत होती है कार्रवाई

बता दें कि ईडी प्रिवेंसन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ये तमाम कार्रवाई करती है। ईडी जब छापामार कार्रवाई करती है तो लाखों रुपयों के साथ एजेंसी आरोपित लोगों की संपत्ति भी अटैच कर देती है। तो आज की इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि अटैच संपत्ति क्या होती है जिसकी कार्रवाई ईडी करती है।

इस तरह से की जाती है संपत्ति अटैच

दरअसल, हाल ही में ईडी ने हीरो कंपनी के सीएमडी पवन मुंजाल की 25 करोड़ की तीन संपत्तियां अटैच की हैं। बता दें कि ईडी पहले संपत्ति को लेकर तमाम तरह की जानकारियां जुटाती है और सबूत मिलने पर उन संपत्तियों को अटैच करने का फैसला करती है।

ईडी को कोर्ट में पेश करती है सबूत

इसके बाद मामले को लेकर ईडी को कोर्ट में सबूत पेश करने होते हैं, ये बताना होता है कि क्यों संपत्ति को अटैच किया गया। अगर कोर्ट में फैसला ईडी के पक्ष में आता है तो अटैच संपत्ति को जब्त कर लिया जाता है और इसकी कुर्की हो जाती है।

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अटैच के बावजूद भी कर सकते हैं प्रॉपटी का इस्तेमाल

अब बात करते हैं कि आखिर ये अटैच करना होता क्या है। ईडी जब भी किसी की संपत्ति को अटैच करती है तो इसका मतलब सील करना नहीं होता है। इस प्रॉपर्टी का इस्तेमाल जारी रहता है, यानी अगर किसी का घर अटैच किया गया है तो उसमें लोग रह सकते हैं।

साथ ही इसे किराये पर भी दिया जा सकता है। ठीक इसी तरह दफ्तर और फैक्ट्री आदि को लेकर भी होता है। अटैच किए जाने के बाद इस संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता है, ना ही इसे किसी और के नाम ट्रांसफर कर सकते हैं।

अटैच के खिलाज जा सकते हैं कोर्ट

काफी रेयर केस ऐसे होते हैं, जिनमें प्रॉपर्टी का इस्तेमाल नहीं हो सकता है। कोर्ट का फैसला आने तक संपत्ति का इस्तेमाल जारी रह सकता है। आरोपी शख्स कोर्ट में प्रॉपर्टी अटैच करने के खिलाफ अर्जी दाखिल कर सकता है।

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