नई दिल्ली। आपने अक्सर रेलवे स्टेशन पर एक भारी-भरकम काले कलर के बॉक्स को देखा होगा। इस पर लोको पायलट या गार्ड के नाम लिखे होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बक्सों को रेलवे स्टेशन पर किस काम के लिए रखा जाता है? इस बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं होगा। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि इस बॉक्स के पीछे की कहानी क्या है।
इसे लाइन-बॉक्स कहा जाता है
बतादें कि इस बॉक्स को रेलवे की भाषा में ‘लाइन -बॉक्स’ (line-box) कहा जाता है। जैसे सीमा पर लड़ने के लिए जवान को उचित और पर्याप्त माता में गोला-बारूद, हथियार इत्यादि की आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह भारतीय रेल में ट्रेन गार्ड और लोको पायलट को भी ट्रेन को व्यवस्थित और सुरक्षित चलाने के लए कुछ साजो-सामान की आवश्यकता होती है। इस समान को व्यक्तिगत भंडार कहा जाता है। जिसे रेलवे द्वारा आवंटित किया जाता है।
इसलिए इन्हें स्टेशन पर रखा जाता है
इसी समान को सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से रखने के लिए एवं एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने के लिए गार्ड और लोको पायलट, इस्पात के एक मजबूत बॉक्स में ताला लगा कर रखते हैं। ताकि ये प्लेटफऑर्म और यार्डों में हर परिस्थिति में सुरक्षित पड़े रहें। इन्हें आमतौर पर बड़े-बड़े गुड्स यार्डों एवं जंक्शन स्टेशनों पर, जहां ट्रैन क्रू की अदला-बदली होती है या प्लेटफॉर्म के दोनों सिरों पर, जहां लोकोमोटिव और गार्ड का ब्रेक-वैन आ के रुकता है वहां रखा जाता है।
उतारने और चढ़ाने के लिए बॉक्स-बॉय को नियुक्त किया जाता है
इन्हें चढ़ाने और उतारने के लिए ऐसे बड़े-बड़े स्टेशनों पर बॉक्स-बॉय नियुक्त किये जाते हैं, जो ट्रैन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के बाद पूर्व निर्धारित समय के अनुसार आने वाले गार्ड और लोको पायलट का लाइन-बॉक्स उतारते हैं, और फिर क्रू लॉबी या स्टेशन मास्टर से मिली जानकारी के अनुसार जाने वाले गार्ड और लोको पायलट का बक्सा चढ़ा भी देते हैं। इनकी पहचान के लिए गार्ड और लोको पायलट इन बक्सों पर सफेद रंग से बड़े अक्षरों में उनका पूरा नाम, पदनाम और मुख्यालय का नाम लिखते हैं और साथ-साथ पहचान चिन्ह भी अंकित करके रखते हैं, जिससे बॉक्स-बॉय को सही ट्रैन में सही क्रू का लाइन-बॉक्स चढ़ाने में मदद मिल सके।
लाइन बॉक्स में क्या होता है?
इस लाइन बॉक्स में दुर्घटना नियमावली पुस्तक, सहायक नियम पुस्तक, गार्ड की मेमो बुक, 10 डेटोनेटर (आपातकालीन पटाखा सिग्नल), दो लाल एवं एक हरी झंडी, डंडे के साथ लगाए हुए, पैड लॉक (ताला) एवं चाभी जैसा कि निर्धारित किया गया हो, एम यू पाइप के लिए रबर वॉशर-3, पार्सल लदान पुस्तिका, एल ई डी प्रकार की टेल लैंप और टेल बोर्ड, क्रमशः रात और दिन में आन्तिम वाहन के पीछे लगाने के लिए, नियोज्य (detachable) एयर प्रेशर गेज, एडाप्टर के साथ (सिर्फ गुड्स गार्ड के लिए), एक फ्यूजी सिग्नल ( जहाँ निर्धारित किया गया हो), एल ई डी प्रकार की तीन रोशनियों (हरा, लाल एवं सफेद) वाली हाथ बत्ती (टॉर्च)।
इसके अलावा गार्ड के बॉक्स में अतिरिक्त समान भी रखे होते हैं। जैसे कैरिज चाभी, शिकायत पुस्तिका, सेल के साथ एक टॉर्च, एक छोटा सा प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, एयर ब्रेक कोच की ए सी पी (अलार्म चैन पुलिंग) को रिसेट करने की चाभी आदि रखे होते हैं। हालांकि अब रेलवे ने इस बॉक्स को हटाने का फैसला किया है और इसके जगह पर नए ट्रॉली बैग देने का फैसला किया है। साथ ही गाइड बुक की जगह पर अब स्मार्ट फोन दिया जाता है।