दिल्ली। राजधानी में एक बार फिर से हवा जहरीली हो गई है। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में लगातार ही पदूषण का स्तर बढ़ रहा है। दिवाली के दूसरे दिन तो एक्यूआई का लेवल 900 तक पहुंच गया था।
ऐसे में हम आज जानेंगे कि आखिर किस चीज से सबसे ज्यादा पदूषण होता है। क्या इसके पीछ सिर्फ किसानों के पराली जलाने से पदूषण बढ़ता है, या कोई और भी कारण है।
इतना खतरनाक है ये हवा में फैला पदूषण
PM2।5 कण एक बड़ी चिंता का विषय हैं, क्योंकि वे बहुत छोटे होते हैं, जिनकी माप केवल 2।5 माइक्रोन होती है, जो एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा है। ये छोटे कण दृश्यता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं और हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे अस्थमा और सांस लेने में कठिनाई जैसी श्वसन समस्याएं हो सकती हैं।
पराली से भी ज्यादा इससे होती है हाव खराब
सीएसई की रिपोर्ट बताती है कि वाहनों के अलावा, घरेलू स्रोत दिल्ली के प्रदूषण में 13% का योगदान देते हैं, उद्योगों का 11%, निर्माण का 7% और कचरा जलाने और ऊर्जा क्षेत्र का 5% योगदान है। सड़क की धूल और अन्य स्रोत 4% योगदान करते हैं।
वाहनों से भी बढ़ रहा पदूषण
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, वाहन उत्सर्जन और घर के अंदर खाना पकाने से होने वाला उत्सर्जन प्रदूषण के शीर्ष स्रोत हैं। सीएसई इस बात पर जोर देता है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में वाहन प्राथमिक योगदानकर्ता हैं, लेकिन इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रभावी उपायों की कमी रही है।
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