कलकत्ता। बंगाल ने शनिवार को देश के सबसे राजनीतिक रूप से हिंसक राज्य के रूप में अपनी स्थिति दर्ज की। पंचायत चुनाव (West Bengal Panchayat Election) के दिन मतदान से पहले हुई हिंसा में 22 लोगों में 18 मौतें हुईं।
मृतकों में से सत्रह, जिनमें शनिवार को मारे गए सात लोग भी शामिल थे, तृणमूल कांग्रेस से थे।
विपक्ष पर हिंसा के दोष डालने की कोशिश
सत्तारूढ़ दल ने इस मुद्दे पर जोर दिया क्योंकि उसने विपक्ष पर हिंसा के लिए अधिक से अधिक दोष डालने की कोशिश की।
पांच साल पहले, ऐसे ही मतदान के दिन कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि 34 प्रतिशत सीटें निर्विरोध थीं। चुनाव अभियान के दौरान 14 लोगों की मौत हो गई थी।
हिंसा रोकने के बजाय दे रहीं आकड़ों का हवाला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार अभियान के दौरान कुछ आंकड़ों का बार-बार हवाला दिया था। उनके आकड़ों के मुताबिक, 2013 की पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान कम से कम 39 मौतें हुईं। वहीं 2008 में 36 और 2003 में 70 मौतें हुईं।
शनिवार को बंगाल में हुई बड़ी हिंसा में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। विभिन्न प्रकार के चुनावी कदाचार के आरोप भी लगे।
मतदान कर्मियों से लेकर मतदाताओं तक, मतदान करने वाले 22 जिलों के कई लोगों को धमकी और रुकावट के सामने असहाय होकर रोते हुए देखा गया।
66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में शाम 5 बजे तक 66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। कुल 5.67 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से लाखों अभी भी कतार में हैं। अंतिम आंकड़ा काफी हद तक बढ़ने की उम्मीद है।
केंद्रीय और राज्य बलों की तैनाती के बावजूद मतदान केंद्रों और उसके आसपास सुरक्षा की कमी सामने आई। बंगाल में हुई यह हिंसा केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल उठाते है।
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