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नई दिल्ली। बंगाल में भाजपा ने लाख कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दुर्ग को हिला ना सकी। चुनाव से पहले पॉलिटिकल पंड़ों को लग रहा था कि बंगाल में TMC-BJP के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन नतीजों ने सबके भ्रम को दूर कर दिया। तृणमूल एक बार फिर से सबके सामने मजबूत होकर आई। हालांकि 2016 में महज तीन सीट लानी वाली भाजपा ने भी इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और 78 सीट लाने में कामयाब हुई। वहीं कांग्रेस और वामदल का तो मानों सफाया ही हो गया। ऐसे में आज हम जानेंगे कि वो कौन से प्रमुख कारण हैं जिसके दम पर ममता बनर्जी बंगाल में एक फिर से राज करने जा रही हैं।
1. मुख्यमंत्री के रूप में मजबूत चेहरा थीं ममता
ममता बनर्जी ने बंगाल में बाहरी बनाम बंगाल की बेटी का मुद्दा अच्छे से उठाया। इस कारण से भाजपा की उम्मीदों पर बंगाली अस्मिता जैसे मुद्दों ने पानी फेर दिया। साथ ही ममता बनर्जी मुख्यमंत्री के रूप में एक मजबूत चेहरा थीं। जबकि भाजपा ने बंगाल में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं दिया था।
2. कई योजनाओं का मिला लाभ
ममता बनर्जी को बंगाल चुनाव में उनके द्वारा चलाए गए कई योजनाओं का लाभ मिला। जैसे दुआरे सरकार, स्वास्थ्य साथी, कन्याश्री जैसी योजनाएं। मतदाताओं को इन योजनाओं से काफी लाभ मिला है। यही कारण है कि उन्होंने ममता सरकार पर एक बार फिर से भरोसा जताया है।
3. ममता का ध्रुविकरण
सबकों लग रहा था कि भाजपा बंगाल में ध्रुविकरण करने में कामयाब हो जाएगी। लेकिन ध्रुविकरण के मामले में ममता ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे योद्धाओं को भी पटखनी दे दी। ममता बनर्जी बंगाल में बहुसंख्यकों को यह समझाने में कामयाब हो गईं कि भाजपा बाहरी पार्टी है और यह बंगाली अस्मिता के साथ छेड़छाड़ करेगी। साथ ही मंदिर जाना और चंडीपाठ ने भी लाभ पहुंचाया। जबकि अल्पसंख्यकों तक यह मैसेज पहुंचा दिया कि भाजपा आई तो अपके साथ बुरा हो सकता है। इस कारण से बंगाल में मुस्लिम वोटबैंक एकजुट हो गया।
4. भाजपा प्रत्याशियों के चयन में गड़बड़ी
ममता बनर्जी के जीत के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। क्योंकि बंगाल भाजपा में जितने नेता हैं वो या तो TMC आए हैं या वामदल से। ऐसे में पार्टी, प्रत्याशियों का चयन ठीक ठंग से नहीं कर पायी। उन्हें मालूम ही नहीं था कि वे जिसे चुनाव लड़ा रहे है। उसके प्रति स्थानीय नेता, कार्यकर्ता और जनता में कितनी नाराजगी है।
5. अंतिम तीन चरणों में कोरोना का कहर
अंतिम और सबसे प्रमुख कारण है तीन चरणों में कोरोना का कहर। क्योंकि इन तीन चरणों में ज्यादा लोग वोटिंग के लिए नहीं गए। साथ ही लोगों को लगने लगा कि बंगाल चुनाव के कारण भाजपा देश में कोरोना से लोगों को नहीं बचा पा रही है, तो बंगाल में कैसे बचा पाएगी। इससे सीधे TMC को फायदा हुआ।
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