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हाइलाइट्स
ISRO की आज नई लॉचिंग
जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में तैनात होगा
ISRO आज फिर रचेगा इतिहास
Naughty Boy Rocket: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार (17 फरवरी) को मौसम की सटीक जानकारी देने वाले सैटेलाइट INSAT-3DS को लॉन्च किया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5.35 बजे लॉन्च किया गया।
https://twitter.com/ANI/status/1758826178331467788
सैटेलाइट की लॉन्चिंग GSLV Mk II रॉकेट से होगी। थोड़ी देर में जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) यानी पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में तैनात होगा।
https://twitter.com/i/status/1758718397091647624
प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुक्रवार को शुरू हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सोलहवें मिशन के तहत प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एफ14 की उड़ान शनिवार शाम को होगी।
https://twitter.com/isro/status/1758057900789109147?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1758412843131797625%7Ctwgr%5Efad62e9cfd3d4ae2e799ffe22e3c1fc5b387f55b%7Ctwcon%5Es2_&ref_url=https%3A%2F%2Fnavbharattimes.indiatimes.com%2Findia%2Fisro-launch-weather-satellite-insat-3ds-today-from-satish-dhawan-space-center-sriharikota%2Farticleshow%2F107763025.cms
GSLV Mk II रॉकेट से इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग होगी। इनसैट-3 डीएस सैटेलाइट भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किए जाने वाले तीसरी पीढ़ी के मौसम विज्ञान सैटेलाइट का अनुवर्ती मिशन है, और यह पूरी तरह से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है।
क्या करेगा INSAT-3DS
2274 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट एक बार चालू होने के बाद अर्थ साइंस, मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), मौसम पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय केंद्र के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा।
51.7 मीटर लंबा रॉकेट इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर ले जाएगा। जिनका उपयोग बादल, कोहरे, वर्षा, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, भूमि और समंदरों पर स्टडी के लिए किया जाएगा।
क्या है इस मिशन का मकसद?
इसरो ने कहा कि मिशन के प्राथमिक उद्देश्य हैं: पृथ्वी की सतह की निगरानी करना, मौसम संबंधी महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्री अवलोकन और उसके पर्यावरण को पूरा करना; वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल प्रदान करना; डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताएं प्रदान करना; और उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना।
यह उपग्रह वर्तमान में कार्यरत इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न अन्य एजेंसियां और संस्थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान तथा मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डीएस उपग्रह डेटा का उपयोग करेंगे।
क्या है इनसैट सीरीज?
इसरो ने इनसैट को भारत की कम्युनिकेशन, टेलीकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया है। जियो स्टेशरी सैटेलाइट्स की सीरीज की शुरुआत साल 1983 में की गई थी।
यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा लोकल कम्यूनिकेशन सिस्टम है। कर्नाटक के हासन और मध्य प्रदेश के भोपाल से इस सैटलाइट की निगरानी और कंट्रोल किया जाता है। इस सीरीज के छह सैटेलाइट्स अब तक लॉन्च किए जा चुके हैं।
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