Water Fasting: सावन मास की शुरूआत जहां पर हो गई है वहीं इस खास मौके पर हर कोई भगवान शिव की आराधना करने के साथ व्रत रखेंगे। ऐसे में नियमों के अनुसार हर कोई व्रत रखता है ऐसे में एक बार खाना खाते है तो वहीं पर दूसरी बार में पानी पीकर रहते है। ऐसे में आपने वाटर फास्टिंग के बारे में सुना है कि, आखिर फास्टिंग के क्या फायदे होते है और क्या नुकसान।
मोटापा कम करने के लिए नहीं है ये फास्टिंग
आपको बताते चलें, ‘शिकागो इलिनोइस विश्वविद्यालय’ की रिसर्च के अनुसार सामने आया है कि, अगर मोटापा कम करने के हिसाब से आप इसे कर रहे हैं तो यह लंबे समय तक के लिए फायदेमंद नहीं होते है। इसे अपनाने से पेट संबंधी, पाचन संबंधी छोटी-मोटी बीमारी ठीक हो जाती है. साथ ही साथ एक हद तक वाटर फास्टिंग ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में कारगर है। इसके विपरीत आए दिन व्रत रखने वाले लोगों पर इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ते है। आप इसे एक बार आजमा कर देख सकते हैं. यह बेहद काम की चीज है साथ ही इसे आजमाने के बाद पेट संबंधी पाचन क्रिया संबंधी दिक्कते दूर हो जाती हैं।
यूरोप में लोकप्रिय है वाटर फास्टिंग
आपको बताते चलें, नए स्टडी के मुताबिक जल उपवास या बुचिंगर उपवास पर आठ अध्ययनों की समीक्षा सामने आई है जिसके अनुसार यह एक प्रकार से चिकित्सकीय देखरेख वाला उपवास है जिसमें लोग दिन में केवल थोड़ी मात्रा में जूस और सूप का सेवन करते हैं। रिसर्च में इतना भी खुलासा हुआ है कि, उपवास करने से कुछ समय के लिए वजन घटाने में मदद मिलती है. जिन लोगों ने पांच दिनों तक उपवास किया उनका वजन लगभग 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत कम हो गया. जिन लोगों ने सात से 10 दिनों तक उपवास किया. उन्हें लगभग 2 प्रतिशत से 10 प्रतिशत वजन कम हुआ और जिन्होंने 15 से 20 दिनों तक उपवास किया. उन्हें 7 प्रतिशत से 10 प्रतिशत वजन कम हुआ।
रूक-रूक के फास्टिंग करना सही
आपको बताते चलें कि, इस वाटर फास्टिंग में तेजी में वजन तो कम करता है लेकिन ज्यादा वक्त तक कारगर नहीं होता है. ऐसे में रिसर्चर का मानना है कि वाटर फास्टिंग की जगह रूक-रूक कर फास्टिंग करना ज्यादा कारगर है और इसके रिजल्ट काफी लंबे तक असर दिखाता है।
पढ़ें ये खबर भी-
Ashes Test Series: जॉनी बेयरस्टो के विकेट पर मचा बवाल, पूर्व सलामी बल्लेबाज मार्क बूचर ने दिया बयान
Sandipani Ashram: द्वापर युग से चली आ रही परंपरा आज भी है कायम, क्यों खास है सांदीपनि आश्रम
‘