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सुलझ रहा MP और राजस्थान का 20 साल पुराना विवाद: दोनों राज्यों के बीच जल्द होगा MOU, इस मामले पर दोनों प्रदेशों की सहमति

MP Rajsthan water Issue: सुलझ रहा MP और राजस्थान का 20 साल पुराना विवाद: दोनों राज्यों के बीच जल्द होगा MOU, इस मामले पर दोनों प्रदेशों की सहमति

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Rohit Sahu
सुलझ रहा MP और राजस्थान का 20 साल पुराना विवाद: दोनों राज्यों के बीच जल्द होगा MOU, इस मामले पर दोनों प्रदेशों की सहमति

MP Rajsthan water Issue: मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच 20 साल पुराना जल विवाद अब समाप्त हो गया है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा, ने दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात के बाद इसकी घोषणा की। इस समझौते से दोनों राज्यों के लोगों को लाभ होगा और जल्द ही एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दरअसल चंबल के पानी के बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों में विवाद है।

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चंबल के पानी को लेकर दोनों राज्यों में विवाद

चंबल नदी के जल बंटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच 20 साल से यह विवाद था। अब यह विवाद पूरी तरह सुलझ चुका है। मध्य प्रदेश, राजस्थान केंद्र सरकार के बीच संशोधित पार्बती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ये विवाद सुलझा है। इस समझौते के बाद 75 हजार करोड़ की नई नदी जोड़ो परियोजना शुरू होगी। जिसके तहत चंबल को दूसरी नदियों से भी जोड़ा जाएगा।

विवाद खत्म होने पर सीएम मोहन ने जताई खुशी 

मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने विवाद खत्म होने पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नदी जोड़ो अभियान बड़े पैमाने पर चल रहा है। हमारे राज्यों के बीच 20 साल पुराना विवाद था जो अब खत्म हो रहा है। इसकी मुझ खुशी है। विवाद का निष्कर्ष भी निकाला गया है। अब इसके परिणाम जल्द ही देखने को मिलेंगे। आने वाला समय दोनों राज्यों के लिए अनूठा होने वाला है। जिसका फायदा दोनों राज्यों के लोगों को मिलेगा।

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क्या है विवाद

मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच 20 साल से चंबल नदी के पानी को लेकर विवाद था। दोनों राज्यों ने 50-50 प्रतिशत पानी बंटवारे के समझौते के अनुसार मध्य प्रदेश को कोटा बैराज से 3900 क्यूसेक पानी मिलना था, लेकिन राजस्थान ने कम पानी दिया। राजस्थान एमपी को 2800 से 2900 क्यूसेक या इसके आसपास पानी दे रहा था। ऐसे में मध्य प्रदेश में पानी की समस्या बन जाती थी. इससे मध्य प्रदेश में पानी की समस्या और किसानों की सिंचाई पर असर पड़ता था। अब दोनों राज्यों की सरकारों ने जल बंटवारे पर सहमति बनाई है और नए नियम तय किए जाएंगे। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय का भी अहम योगदान है।

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