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CG Water Crisis: भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण, झिरिया के सहारे बुझा रहे प्‍यास, कोई सहारा नहीं!

CG Water Crisis: भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण, झिरिया के सहारे बुझा रहे प्‍यास, कोई सहारा नहीं!

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Sanjeet Kumar
CG Water Crisis: भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण, झिरिया के सहारे बुझा रहे प्‍यास, कोई सहारा नहीं!

   हाइलाइट्स

  • कवर्धा जिले का बड़ा हिस्सा वनांचल
  • पहाड़ी क्षेत्रों में हर गर्मी में जल संकट
  • झिरिया का पानी बना रहे योग्‍य
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रिपोर्ट: संतोष भारद्वाज

CG Water Crisis: कवर्धा जिले का काफी बड़ा हिस्सा वनांचल और पहाड़ी वाला है। पहाडी वाले क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। इस वर्ष भी बोड़ला और पंडरिया ब्लाक के गांवों में पानी की किल्लत शुरू हो चुकी है।

पानी (CG Water Crisis) के लिए  ग्रामीणों को तरसना पड़ रहा है। कई गांवों में जहां लोगों को पानी के लिए पहाड़ से एक दो किमी दूर जाना पड़ता है तो कई गांवों में झिरिया के पानी से प्यास बुझाने को मजबूर हैं।

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सबसे ज्यादा समस्या (CG Water Crisis) पंडरिया ब्‍लॉक में देखने को मिल रही है। वहीं प्रकृति के सामने प्रशासन भी हार चुका है, जिसके बाद अब प्राकृतिक रूप से बने झिरिया के पानी को ही पीने के योग्य बनाने के लिए काम करना पड़ रहा है।

   गर्मी आते ही शुरू हो जाती है समस्‍या

बता दें कि छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा जिले का काफी बड़ा हिस्सा वनांचल है। यह इलाका पहाडों से घिरा हुआ है। जहां बैगा आदिवासियों का रहवास है।

इन क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही सबसे बड़ी समस्या पानी (CG Water Crisis) की होती है। बोडला ब्‍लॉक के चिल्फी, सरोदा दादर, राजाढार, ढोलबज्जा, रूखमीदादर, इसी प्रकार पंडरिया ब्‍लॉक के तेलियापानी, कांदावानी, बिरजूनगर, बिरहूलडीह, छिरपानी, सेंदूरखार, बाहपानी, पल्लीदादर, बसूलालूट, सेजाडीह, पिपरटोला, ढोलढोली, चाउरडोंगरी, बांसाटोला, माडाडबरा, सारपानी, ठेंगाटोला, गभोड़ा सहित दर्जनों पहाडी गांव हैं।

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   खनन में नहीं निकलता पानी

CG Water Crisis-Jhiriya

इन गांवों में गर्मी के समय में हैंड पंप सूख (CG Water Crisis) जाते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए झिरिया ही एक सहारा बचता है।

पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां हैंडपंप खनन फेल हो जाते हैं, ऐसे में गर्मी के चार माह बैगा आदिवासियों को पैदल दो से तीन किमी दूर पहाड़ से नीचे उतरकर पानी लाना पड़ता है।

इसके लिए घर के हर सदस्य हो मेहनत करनी पड़ती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण प्रशासन भी हार चुका है। यही कारण है कि बार-बार बोर खनन के बाद पानी नहीं निकलता है।

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अब झिरिया (CG Water Crisis) को ही दुरूस्त कर पीने योग्य बनाने में लगे हुए हैं। इस मामले में कलेक्टर का भी मानना है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पानी की समस्या प्राकृतिक है। यहां बोर खनन कराने के बाद भी पानी नहीं निकल पाता है।

   प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर

CG Water Crisis-kawardha

खनन कराने के बाद भी जब पानी (CG Water Crisis) नहीं निकल रहा है तो ऐसे में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध संसाधनों से ही साफ पानी उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है।

ताकि बैगा आदिवासियों को किसी प्रकार की कोई समस्या न आए। गर्मी के चार माह इस प्रकार की समस्या झेलनी पड़ती है। जिसे देखते हुए ग्रामीणों के लिए झिरिया को चारों ओर से क्रांक्रीटीकरण कर संरक्षित किया जा रहा है।

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   मूलभूत सुविधाओं का अभाव

इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं से आज भी वचिंत हैं, बिजली की खंभे तो लगे है पर सालों से यहा बिजली नहीं है। सड़क की हालत खराब हो रही है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के लिए किसी मुसीबत (CG Water Crisis) से कम नहीं है। चुनाव के समय विधायक, सांसद ,मंत्री आते है बड़े बड़े वादे करके चले जाते हैं फिर दोबारा ऐसे गांवों का रुख नहीं करते है।

जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं ग्रामीण, अब गांव मे जो सुविधा उपलब्ध है उसी के सहारे जीवन जीने को मजबूर हैं।

सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं।

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