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Waqf Amendment Act: वक्फ़ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू, कपिल सिब्बल ने कानून को बताया मनमाना

Waqf Amendment Act Hearing Updates. वक्फ़ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हो गई।

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anjali pandey
Waqf Amendment Act

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Waqf Amendment Act : वक्फ़ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई शुरू हो गई। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की दो सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में पक्ष रख रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हो रहे हैं।

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सुनवाई के लिए कोर्ट ने दोनों पक्षों को 2-2 घंटे का समय दिया है, जिसमें फिलहाल कपिल सिब्बल अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। उन्होंने वक्फ संशोधन कानून 2025 को 'गैर-न्यायिक और कार्यकारी प्रक्रिया के जरिए वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वाला कानून' बताया है।

सिब्बल की प्रमुख दलीलें

1. संपत्ति पर जबरन कब्जे का आरोप
सिब्बल ने कहा कि कानून कहने को वक्फ की सुरक्षा के लिए लाया गया है, लेकिन असल में यह निजी संपत्तियों को जबरन छीनने का माध्यम बन रहा है। विवाद के नाम पर संपत्तियां कब्जे में ली जा रही हैं और जांच प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही उसका वक्फ दर्जा समाप्त कर दिया जाता है।

2. बिना उचित प्रक्रिया के कार्रवाई
सीजेआई ने पूछा कि क्या बिना किसी तय प्रक्रिया के संपत्ति छीनी जा रही है, इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि सरकार खुद अपनी प्रक्रिया तय कर रही है, कोई भी व्यक्ति विवाद पैदा कर सकता है और फिर संपत्ति पर वक्फ का दावा किया जा सकता है।

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3. वक्फ की धार्मिक संवेदनशीलता
उन्होंने कोर्ट को बताया कि वक्फ एक धार्मिक दान है, जो अल्लाह को समर्पित होता है। एक बार वक्फ की गई संपत्ति हमेशा वक्फ ही रहती है। संविधान के अनुसार राज्य धार्मिक संस्थाओं को वित्तीय सहायता नहीं दे सकता, इसलिए मस्जिद या कब्रिस्तान जैसी जगहें निजी संपत्तियों से ही बनती हैं।

4. ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान पर आपत्ति
सिब्बल ने कहा कि वक्फ बाय यूजर के तहत रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता पहले भी थी, लेकिन पहले ये नहीं कहा गया था कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड नहीं है तो वह वक्फ नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने इस तर्क को रिकॉर्ड पर लिया है।

5. धर्म के पालन की अवधि का प्रमाण क्यों?
सिब्बल ने नए कानून की इस व्यवस्था पर भी सवाल उठाया जिसमें वक्फ करने वाले को कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का अनुयायी होना आवश्यक बताया गया है। उन्होंने कहा, “हमें किसी को यह क्यों बताना चाहिए कि हम कब से इस्लाम मानते हैं? और इसकी जांच का तरीका क्या होगा?”

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6. जांच के दौरान वक्फ स्टेटस खत्म करने का प्रावधान अनुचित
उन्होंने कहा कि यदि किसी संपत्ति पर सरकारी स्वामित्व का दावा कर जांच शुरू होती है, तो जांच के पूरा होने से पहले ही वक्फ की स्थिति स्वत: समाप्त हो जाती है। उन्होंने इसे ‘मनमाना प्रावधान’ बताया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। जैसे-जैसे सुनवाई में नए तर्क सामने आते हैं, हम आपको अपडेट देते रहेंगे।

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