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हाइलाइट्स
- बंद दरवाजे से निकली दो संदूक
- 1971 में अंतिम बार खुला था तोशखाना
- ब्रिटिश काल में दो बार हुई चोरी
Banke Bihari Mandir Mathura: धार्मिक नगरी वृंदावन (Vrindavan) के ठाकुर श्रीबांकेबिहारी जी मंदिर (Thakur Bankey Bihari Ji Temple) का रहस्यमय तोशखाना (Toshkhana) आखिरकार 54 साल बाद धनतेरस (Dhanteras) के शुभ अवसर पर खोला गया। माना जाता है कि इस खजाने में ठाकुरजी को अर्पित किए गए पुराने आभूषण, चांदी-तांबे के सिक्के और रियासतों से मिले दान रखे गए थे।/bansal-news/media/post_attachments/PRD_BansalNews/1ZvQM1bui8awizu9online-video-cutter.com-ezgif.com-video-to-webp-converter-300x169.webp)
खजाने से निकली ये वस्तुएं
खजाना खोलने पर वहां मौजूद टीम को कई ऐतिहासिक वस्तुएं मिलीं। इनमें शामिल हैं —
- एक लकड़ी का संदूक
- टूटे कुंडे
- तीन देग (Degs)
- तीन बड़े कलश
- एक परात
- चार बड़े गोलाकार पत्थर
- एक बड़ा लकड़ी का तख्त
- दो बक्से (जिनमें गहने रखे जाते थे)
- एक चांदी का छोटा छत्र (Silver Umbrella)
- और 2 फरवरी 1970 का एक पत्र (Letter)
गोस्वामियों ने किया विरोध, मांगी लाइव प्रसारण की अनुमति
खजाना खोलने की प्रक्रिया के दौरान गोस्वामी समाज (Goswami Community) ने जोरदार विरोध किया। उनका कहना था कि इस पूरी कार्रवाई को पारदर्शी तरीके से करने के लिए मंदिर परिसर में एक बड़ी स्क्रीन लगाकर लाइव दिखाया जाना चाहिए। हंगामे के बीच भी प्रशासन और हाई-पावर्ड कमेटी (High Powered Committee) के अधिकारियों ने प्रक्रिया पूरी की।
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का खजाना आज 54 साल बाद खोला जा रहा। ये खजाना 160 साल पुराना है। इसमें सोने-चांदी के जेवर, सोने के कलश और चांदी के सिक्के रखे हैं। गर्भगृह के पास वाले कमरे के कपाट खुलने से कई रहस्य सामने आ सकते हैं।#mathura#mathuravrindavan#bankebiharimandirpic.twitter.com/4Nh7WJLVRZ
— Tariq Iqbal (@tariq_iqbal) October 18, 2025
1971 में अंतिम बार खुला था तोशखाना
इतिहासकारों के अनुसार, वर्ष 1971 में मंदिर की तत्कालीन प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्यारेलाल गोयल (Pyarelal Goyal) के नेतृत्व में आखिरी बार तोशखाना खोला गया था। तब कुछ कीमती सामान की सूची बनाकर उसे सील के साथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India), मथुरा के भूतेश्वर शाखा (Bhuteshwar Branch) में जमा किया गया था। खास बात यह है कि मंदिर में जब यह खजाना पहली बार स्थापित किया गया था, तब इसे पूजा कर ठाकुरजी के पास रखा गया था।
ब्रिटिश काल में दो बार हुई चोरी
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि ब्रिटिश शासन (British Rule) के दौरान, वर्ष 1926 और 1936 में मंदिर के तोशखाने में चोरी हुई थी। इन घटनाओं के बाद गोस्वामियों ने तहखाने का मुख्य द्वार बंद कर दिया और केवल एक छोटा मुहाना (Opening) छोड़ा ताकि आवश्यक वस्तुएं रखी जा सकें। वर्ष 1971 में अदालत के आदेश पर दरवाजे पर ताला लगाकर सील कर दी गई थी।
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