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घर छोड़कर जाने के लिए नहीं, लौटने के लिए होता है: विनोद शुक्ल की पोता-पोती को भावुक सीख

“घर छोड़कर जाने के लिए नहीं, लौटकर आने के लिए होता है”—हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल की पोता-पोती से यह भावुक सीख घर, परिवार और अपनापन का गहरा अर्थ समझाती है, जो हर उम्र के दिल को छू जाती है।

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Ujjwal Jain

"घर छोड़कर जाने के लिए नहीं, बल्कि हमेशा लौटकर आने के लिए होता है..."** 🥺❤️ मशहूर साहित्यकार **विनोद कुमार शुक्ल जी** का यह वीडियो आपकी आँखों में नमी ला देगा। अपने पोता-पोती के साथ एक बेहद निजी और प्यारे पल में, उन्होंने जीवन का सबसे बड़ा फलसफा कितनी आसानी से समझा दिया। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर घर से दूर निकल जाते हैं, लेकिन शुक्ल जी याद दिलाते हैं कि असली सुकून "लौटकर आने" में ही है। सुनिए यह प्यारी सी बातचीत और साझा कीजिये उनके साथ जिन्हें आप घर बुलाना चाहते हैं। 👇

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