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Premanad Maharaj: देश जाति-धर्म के भेद से कैसे हो मुक्त, भक्त के सवाल पर प्रेमानंद महाराज का सुंदर जवाब

एक भक्त ने प्रश्न किया कि देश जाति-धर्म के भेद से मुक्त होकर असली धर्म में कैसे रह सकता है। प्रेमानंद महाराज ने सहज और गहरे शब्दों में बताया कि जब मनुष्य भेदभाव छोड़कर मानवता अपनाता है, तभी समाज सच में धर्ममय बनता है।

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Ujjwal Jain

एक सत्संग के दौरान एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि देश जाति और धर्म के भेद से कैसे मुक्त हो सकता है और भेद मिटाकर असली धर्म में कैसे जिया जा सकता है।

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महाराज ने बड़े सुंदर और सरल शब्दों में उत्तर दिया कि धर्म का अर्थ किसी जाति या पंथ की सीमा में बाँधना नहीं है। जब मनुष्य अपने भीतर की करुणा, समानता और मानवता को पहचानता है, तभी भेदभाव अपने-आप खत्म होने लगता है।

उन्होंने समझाया कि सच्चा धर्म वही है जो जोड़ता है—लोगों को, दिलों को, और समाज को। जाति-धर्म का अंतर तभी तक है जब तक हम बाहरी पहचान में उलझे रहते हैं। जैसे ही मनुष्य अपनी सोच को व्यापक करता है और मानव को मानव समझता है, पूरा देश सामंजस्य और प्रेम से भर जाता है।

महाराज का यह जवाब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और कई लोग इसे सामाजिक सौहार्द का मजबूत संदेश मान रहे हैं।

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