दुर्ग। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक शख्स उन्हें कोड़े से पीट रहा है। ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल खड़ा हो रहा होगा कि आखिर कोई शख्स किसी सीएम को कैसे पीट सकता है। सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन ये सच है। दरअसल, शख्स सीएम की पिटाई कोई दुश्मनी निकालने के लिए नहीं कर रहा है बल्कि वो एक परंपरा को निभा रहा है। आइए जानते हैं क्या है ये परंपरा और क्या है इसकी मान्यता।
क्या है ये परंपरा?
बतादें कि गोवर्धन पूजा के दिन छत्तीसगढ़ में इस परंपरा को निभाया जाता है। परंपरा के मुताबिक सीएम भूपेश बघेल हर साल प्रदेश की मंगल कामना और विघ्नों के नाश के लिए कुश से बने सोटे का प्रहार सहते हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को उन्होंने ये पंरपरा ग्राम जंजगिरी में निभाई। बतादें कि यह एक प्राचीन परंपरा है और स्थानीय लोग इसे कई वर्षों से निभाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि इस तरह से विघ्नों का नाश होता और घर में हमेशा सुख और समृद्धि आती है।
लोग साल भर तक करते हैं इसका इंतजार
बतादें कि हर साल सीएम भूपेश बघेल पर ग्रामीण बीरेंद्र ठाकुर ही सोटे से प्रहार करते हैं। पहले इस काम को उनके पिता भरोसा ठाकुर करते थे। लेकिन अब इस परंपरा को उनके पुत्र बीरेंद्र ठाकुर निभा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ये परंपरा इतनी लोकप्रिय है कि लोग इसका साल भर इंतजार करते हैं। सीएम भपेश बघेल ने कहा कि मैं हर साल कुश से बने सोटे का प्रहार सहता हूं। क्योंकि गोवर्धन पूजा गोवंश की समृद्धि की परंपरा की पूजा है, जितना समृद्ध गोवंश होगा, उतनी ही हमारी तरक्की होगी।
मिट्टी के प्रति गहरे अनुराग का उत्सव
बतादें कि गोवर्धन पूजा और गौरा गौरी पूजा मिट्टी के प्रति गहरे अनुराग का उत्सव है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत व गाय, बछड़ो आदि की आकृति बनाकर उनका पूजन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रज में लोगों को इंद्रदेवता की पूजा करते हुए देख भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि इंद्र देव से ज्यादा शक्तिशाली हमारा गोवर्धन पर्वत है और हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। ये सुनकर गांव के लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और इससे इंद्र देव क्रोधित हो गए।
चमत्कार देखकर इंद्रदेव भी चकित रह गए
क्रोधित होकर उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। ऐसे में इंद्र देव के प्रकोप से डरकर ग्रामीण श्रीकृष्ण की शरण में आ गए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और गांव वालों को बचा लिया। श्रीकृष्ण का ये चमत्कार देखकर इंद्रदेव चकित रह गए और उन्होंने उन्होंने भगवान से माफी मांगी। तभी से दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।