हाइलाइट्स
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असम से छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य में दो वन भैंसे
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इन वन भैंसों के रख रखाव की विशेष व्यवस्था की गई
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वन विभाग इन भैंसों पर आमजन की नजर तक नहीं पड़ने दे रहा
VIP Forest Buffalo: छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण्य में दो वन भैंसे हैं। इन्हें महकमे ने विशेष सुविधाएं दी हैं।
इन्हें ऐसे छुपा कर रखा गया है। जैसे इन्हें किसी की नजर ना लग जाए? मसलन, इन्हें एक दो नहीं बल्कि 7 पर्दों में छुपा कर रखा गया है। इन सबके चलते इन्हें वीआईपी वन भैंसा (VIP Forest Buffalo) कहा जा रहा है।
भैंसों के भोजन-पानी, रखरखाव पर डेढ़ करोड़ से ज्यादा खर्च
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक भैंसों (VIP Forest Buffalo) को पानी पिलाने की व्यवस्था के लिए ही चार लाख रुपए से ज्यादा के बजट का प्रावधान किया गया है।
इतना ही नहीं, इन भैंसों के भोजन-पानी से लेकर रखरखाव और प्रजनन के लिए सरकार ने एक करोड़ 50 लाख रुपए से अधिक खर्च कर दिए हैं।
इस सबके बावजूद ये वन भैंसे जिस उद्देश्य से यहां लाए गए, वह पूरा नहीं हो रहा है। इन वन्य प्राणियों को खुली हवा में भी ठीक से नहीं विचरण नहीं करने दिया जा रहा है।
भैंसों के लिए कूलर लगवाए, अब एसी की तैयारी
दरअसल, 12 मई 2020 को ढाई साल के दो सब एडल्ट वन भैंसों (VIP Forest Buffalo) को असम ( मानस टाइगर रिजर्व ) से छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण लाया गया।
यहां एक शुरुआत में दो महीने बाड़े में रखा गया। इनमें एक नर और एक मादा है। इन्हें (VIP Forest Buffalo) पानी पिलाने की व्यवस्था के लिए चार लाख 56 हजार 580 (4,56,580) रुपए का बजट दिया गया।
इसके बाद जब ये बारनवापारा लाए गए तब उनके लिए रायपुर से 6 नए कूलर भिजवाए गए, निर्णय लिया गया की तापमान नियंत्रित न हो तो एसी लगाया जाएं, ग्रीन नेट भी लगाई गई।
भैंसों के रख रखाव पर करोड़ों खर्च
2023 में चार और मादा वन भैंसे (VIP Forest Buffalo) असम से लाए गए, तब एक लाख रुपए ‘खस’ के लिए दिए गए, जिस पर पानी डाल कर तापमान नियंत्रित रखा जाता था।
इससे पहले वर्ष 2020 में असम में बाड़ा निर्माण किया गया था, उस पर कितना खर्च हुआ इसकी जानकारी वन विभाग के पास नहीं है।
लेकिन 2023 में उसी बाड़े के संधारण के लिए 15 लाख जारी किए गए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता कि बाड़ा भी करोड़ रुपए से कम का तो नहीं होगा।
दो बार में वन भैंसे के असम से प्रदेश तक के परिवहन आदि पर 58 लाख रुपए दर्शाया गया है।
डेढ़ करोड़ से ज्यादा खर्च के बाद भी नहीं मिली प्रजनन केंद्र की अनुमति
साल 2019-2020 से लेकर 2020-21 तक बरनवापारा के प्रजनन केंद्र के निर्माण और रखरखाव के लिए एक करोड़ 60 लाख रुपए जारी किए गए।
इसके अलावा 2021 से आज तक लगातार राशि खर्च की जा रही है।
इतना सब करने के बाद भी सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी दो टूक शब्दों में मना कर दिया कि, बारनवापारा अभ्यारण में प्रजनन केंद्र की अनुमति हम नहीं देंगे।
सालभर में 40 लाख का करते हैं भोजन
दस्तावेज बताते है कि सिर्फ 23-24 में बारनवापारा में 6 वन भैंसों (VIP Forest Buffalo) के भोजन ( चना, खरी, चुनी, पैरा कुट्टी, दलिया, घास) के लिए 40 लाख रुपए जारी किए गए हैं।
जानिए कैसे करेंगे वंश वृद्धि
रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि, प्लान तो यह था कि असम से वन भैंसे (VIP Forest Buffalo) लाकर, प्रजनन के द्वारा वंश वृद्धि की जाए,
परंतु छत्तीसगढ़ में शुद्ध नस्ल का सिर्फ एक ही नर वन भैंसा ‘छोटू’ उदंती सीता-नदी टाइगर रिजर्व में बचा है, जो कि बूढ़ा है और उम्र के अंतिम पड़ाव पर है।
उसकी उम्र लगभग 24 वर्ष है। वन भैंसों की अधिकतम उम्र 25 वर्ष होती है, बंधक में 2-4 साल और जी सकते हैं।
जबरदस्ती करने पर जान भी जा सकती है
बुढ़ापे के कारण जब छोटू से प्रजनन कराना संभव नहीं दिखा तो उसका वीर्य निकाल आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के द्वारा प्रजनन का प्लान बनाया गया, जिसकी तैयारी पर ही लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं।
सिंघवी का मानना है कि यह वैसा ही आत्मघाती होगा जैसे किसी 90 वर्ष के बुजुर्ग से जबरदस्ती वीर्य निकलवाना।
संकट मोल लेने जैसा होगा। यानी उनकी जान भी जा सकती है। इस स्थिति में उसका जिम्मेदार कौन होगा।
भैंसों को उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में छोड़ना होगा गलत
अब अगर असम से लाए गए वन भैंसों को अगर उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाता है, तो वहां दर्जनों क्रॉस ब्रीड के वन भैंसे हैं।
जिनसे क्रॉस होकर असम की शुद्ध नस्ल की मादा वन भैंसों की संतानें मूल नस्ल की नहीं रहेंगी। इसलिए इन्हें वहां पर भी नहीं छोड़ा जा सकता।
वन भैंसों को लेकर पहले से ये प्लान था?
सिंघवी ने आरोप लगाया कि पहले दिन से ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के गुप्त प्लान के अनुसार इन्हें (VIP Forest Buffalo) आजीवन बारनवापारा अभ्यारण में ही बंधक बनाकर रखना था।
इसलिए इन्हें बारनवापारा अभ्यारण में छोड़ने की भारत सरकार की शर्त के विरुद्ध बंधक बना रखा है।
सिंघवी ने कहा है कि अब ये आजीवन बंधक रह कर बारनवापारा के बाड़े में ही वंश वृद्धि करेंगे, जिसमें एक ही नर की संतान से लगातार वंश वृद्धि होने से इनका जीन पूल खराब हो जाएगा।
क्या जनता के 40 लाख रुपए का भोजन कराने लाए वन भैंसे ?
सिंघवी ने कहा कि इस मामले में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से पूछा जाना चाहिए कि असम में जो वन भैंसे (VIP Forest Buffalo) प्राकृतिक के बीच जिन्दा थे।
वहां रहते तो प्रकृति के बीच वंश वृद्धि करते। अब सवाल है कि उनको हर साल जनता की गाढ़ी कमाई का 40 लाख का भोजन कराने के लिए छत्तीसगढ़ लाए हैं?
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जनता के करोड़ों रुपए बर्बाद ?
सिंघवी का कहना है कि इन्हें (VIP Forest Buffalo) सिर्फ वीआईपी को ही क्यों देखने दिया जाता है? जबकि उनको मालूम था कि छत्तीसगढ़ में शुद्ध नस्ल का एक ही वन भैसा बचा है, जो बुढ़ा है।
जिससे वंश वृद्धि नहीं हो सकेगी, तो फिर करोड़ों रुपए क्यों बर्बाद किया?
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कितने करोड़ रुपए हुए खर्च ?
सिंघवी ने आरोप लगाया है कि, वन विभाग के पास मुख्यालय में और फील्ड डायरेक्टर उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में, जिनको बजट आबंटित किया जाता है,
उन्हें असम और बारनवापारा में वन भैसों पर खर्च की गई राशि की जानकारी ही नहीं है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को असम से लाए गए वन भैंसों पर कुल कितने करोड़ रुपए खर्च हुए। इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।