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हाइलाइट्स
- भोपाल कालीबाड़ी में सिंदूर खेला
- नव्या नवेली बच्चन हुईं शामिल
- 400 साल पुरानी परंपरा निभाई
Bhopal Vijayadashami Sindoor Khela 2025: भोपाल (Bhopal) की दक्षिणेश्वर कालीबाड़ी (Dakshineshwar Kalibari) में विजयादशमी (Vijayadashami) के अवसर पर मां दुर्गा की विदाई भावनाओं से भरा माहौल लेकर आई। यहां बंगाली परंपरा के तहत महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा के बाद सिंदूर खेला (Sindoor Khela) की रस्म निभाई। पारंपरिक सफेद-लाल साड़ियों में सजी महिलाओं ने पहले माता की प्रतिमा पर सिंदूर अर्पित किया और फिर आपस में सिंदूर की होली खेली। इस आयोजन में अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा भी शामिल हुईं।
नव्या नवेली नंदा भी हुईं शामिल
इस खास अवसर पर बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा (Navya Naveli Nanda) भी शामिल हुईं। नव्या अपनी नानी जया बच्चन की बहन नीता भादुड़ी (Neeta Bhaduari) के साथ आयोजन स्थल पहुंचीं। जया बच्चन का मायका भोपाल में होने के कारण बच्चन परिवार का इस परंपरा से जुड़ाव लंबे समय से रहा है। नव्या की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और खास बना दिया और उपस्थित लोगों में उत्साह देखा गया।
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महिलाओं ने मां दुर्गा की पूजा की।[/caption]
400 साल पुरानी परंपरा है यह परंपरा
सिंदूर खेला बंगाली संस्कृति की 400 साल पुरानी परंपरा मानी जाती है। मान्यता है कि मां दुर्गा हर साल मायके आती हैं और विजयादशमी पर उनका विदा होना बेटी के विदाई क्षण जैसा होता है। इस रस्म में विवाहित महिलाएं सिंदूर से एक-दूसरे को आशीर्वाद देती हैं और अपने पति की लंबी आयु तथा परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस साल का आयोजन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) को समर्पित रहा, जिसका उद्देश्य इस परंपरा को संरक्षित और जीवंत रखना है।
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अमिताभ बच्चन की नातिन नव्य नवेली नंदा भी हुईं शामिल।[/caption]
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ढोल-नगाड़ों पर धुनुची नृत्य
विदाई से पहले महिलाओं ने मां दुर्गा को पान और मिठाई अर्पित कर भोजन कराया। इसके बाद धुनुची नृत्य हुआ, जहां जलती धुनची (Dhunchi) में नारियल रखकर महिलाएं आग की लपटों के बीच नृत्य करती नजर आईं। इस नजारे ने पंडाल में मौजूद हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर दिया। लेकिन जैसे ही मूर्ति विसर्जन की तैयारी शुरू हुई, पूरे पंडाल में भावनाओं की लहर दौड़ गई। हर महिला की आंखें नम हो गईं और मां दुर्गा की विदाई ने आयोजन को बेहद मार्मिक बना दिया।
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सिंदूर खेला रस्म।[/caption]
रंग-रस-रीति थीम में झलकी बंगाली संस्कृति
इस बार पंडाल की थीम ‘रंग-रस-रीति’ (Rang-Ras-Reeti) पर आधारित रही। सजावट में बंगाली संस्कृति की झलक दिखी, जहां पारंपरिक कारीगरी, लाल-सफेद सजावट और धार्मिक प्रतीकों का संगम देखने को मिला। आयोजन ने न सिर्फ परंपरा को जीवित रखा बल्कि नई पीढ़ी को भी इसमें जोड़ने का काम किया।
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ढोल-नगाड़ों पर धुनुची नृत्य करती महिलाएं।[/caption]
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