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हाइलाइट्स
उपराष्ट्रपति चुनाव
हो सकती है क्रॉस वोटिंग
व्हिप लागू नहीं
Vice President Election 2025:भारत के उपराष्ट्रपति (Vice President of India) का चुनाव संविधान के अनुच्छेद 66 और जनप्रतिनिधि कानून, 1956 के तहत गुप्त मतदान (Secret Ballot) से होता है। इस चुनाव में सांसद (MPs) अपनी पार्टी के निर्देशों से बंधे नहीं होते। यहां व्हिप (Whip) लागू नहीं होता, इसलिए हर सांसद को स्वतंत्र रूप से वोट डालने का अधिकार है। यही वजह है कि क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) की आशंका सबसे ज्यादा रहती है।
एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक
इस बार मैदान में एनडीए (NDA) की ओर से महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) हैं, जबकि इंडिया ब्लॉक (INDIA Bloc) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी (B Sudarshan Reddy) को उतारा है। एनडीए अपने सांसदों को एकजुट करने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सांसदों के लिए विशेष डिनर का आयोजन कर गोलबंदी सुनिश्चित की। वहीं, इंडिया ब्लॉक ने भी अपने सांसदों से अपील की है कि वे विवेक का इस्तेमाल करें और विपक्षी एकता बनाए रखें।
वोटों का समीकरण
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लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के कुल 782 सांसदों में से 6 सीटें खाली हैं। यानी 776 सांसद ही वोट डाल पाएंगे। जीत के लिए 349 वोट जरूरी हैं। कागज पर एनडीए उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन अप्रत्याशित क्रॉस वोटिंग समीकरण बिगाड़ सकती है।
क्रॉस वोटिंग पर सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कैसे होती है?
चूंकि उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election) में व्हिप लागू नहीं होता, इसलिए बागी सांसदों पर कानूनी कार्रवाई संभव नहीं है। लेकिन राजनीतिक अनुशासन (Political Discipline) बनाए रखने के लिए पार्टियां अपने स्तर पर कदम उठाती हैं। इनमें शामिल हैं
- पार्टी से निष्कासन (Expulsion from Party)
- अगले चुनाव में टिकट न देना (No Ticket in Next Election)
- पार्टी पदों से हटाना (Removal from Party Positions)
पिछली बार कब हुई थी क्रॉस वोटिंग?
- 2017: कांग्रेस के कई सांसदों ने पार्टी लाइन तोड़कर वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) को वोट दिया, जिसके चलते वे उपराष्ट्रपति बने।
- 2012: ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को उम्मीद थी कि उन्हें ज्यादा समर्थन मिलेगा, लेकिन क्रॉस वोटिंग से उनकी हार हुई और हामिद अंसारी (Hamid Ansari) जीते।
- 2007: इस चुनाव में भी कुछ क्रॉस वोटिंग हुई थी, लेकिन अपेक्षाकृत कम।
उपराष्ट्रपति चुनाव क्रॉस वोटिंग होगी तो क्या होगा
उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election) में अगर क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) होती है तो उसके राजनीतिक और व्यावहारिक असर अलग-अलग तरह से सामने आते हैं। यहां समझिए:
1. चुनावी असर
उपराष्ट्रपति चुनाव में सांसद गुप्त मतदान (Secret Ballot) से वोट डालते हैं।
अगर सांसद अपनी पार्टी की लाइन से हटकर वोट डालते हैं तो नतीजे अप्रत्याशित हो सकते हैं।
इससे विपक्षी या सत्ता पक्ष के उम्मीदवार की जीत-हार प्रभावित हो सकती है।
2. सांसदों पर कार्रवाई
उपराष्ट्रपति चुनाव में व्हिप (Whip) लागू नहीं होता। यानी कानूनी रूप से सांसदों को बाध्य नहीं किया जा सकता।
इसलिए क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसदों पर संवैधानिक या कानूनी कार्रवाई नहीं होती।
लेकिन राजनीतिक दल अपने स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं, जैसे –
पार्टी से निलंबन या निष्कासन
अगली बार टिकट न देना
पार्टी पद से हटाना
3. पहले भी हुए उदाहरण
2017 में एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) की जीत में विपक्षी दलों के कई सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
2012 और 2007 के उपराष्ट्रपति चुनावों में भी कई सांसदों ने पार्टी लाइन से अलग वोट डाले थे।
क्यों खास है यह चुनाव?
यह चुनाव न केवल उपराष्ट्रपति पद (Vice President Post) के लिए है, बल्कि सियासी दलों की एकता और सांसदों की निष्ठा की भी परीक्षा है। गुप्त मतदान (Secret Ballot) के चलते पार्टी यह आसानी से नहीं जान सकती कि किसने क्रॉस वोटिंग की। नतीजों के बाद ही अनुमान लगाकर राजनीतिक कार्रवाई होती है।
तमिलनाडु में हुआ था सीपी राधाकृष्णन का जन्म
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उप-राष्ट्रपति पद के लिए NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन[/caption]
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 20 अक्टूबर 1957 को हुआ था। उन्होंने वीओ चिदंबरम कॉलेज, कोयम्बटूर से BBA की डिग्री हासिल की। सीपी राधाकृष्णन (चन्द्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन) बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं। सीपी राधाकृष्णन के राजनीतिक जीवन की शुरुआत RSS और जनसंघ से हुई थी। वे 1998 और 1999 में कोयम्बटूर से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। सीपी राधाकृष्णन ने 2003 से 2006 तक तमिलनाडु के बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी।
फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक सीपी झारखंड के राज्यपाल रहे। वहीं मार्च से जुलाई 2024 तक तेलंगाना का अतिरिक्त प्रभार संभाला। मार्च से अगस्त 2024 तक पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। सीपी राधाकृष्णन 31 जुलाई 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
सीपी राधाकृष्णन का उल्लेखनीय कार्य
तमिलनाडु में बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए 2004-2007 के दौरान सीपी राधाकृष्णन ने 93 दिन की रथ यात्रा निकाली थी। इसका उद्देश्य नदियों को आपस में जोड़ना, आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता और अस्पृश्यता उन्मूलन था। संसद में सीपी राधाकृष्णन वस्त्र उद्योग पर स्थायी समिति के अध्यक्ष भी रहे। इसके साथ ही कई वित्तीय और सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़ी समितियों में सक्रिय रहे।
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