हाइलाइट्स
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संसद भवन में 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग जारी
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मुकाबला NDA के सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी बी सुदर्शन रेड्डी के बीच
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क्रॉस-वोटिंग पर सबसे ज्यादा चर्चा, कई बार पहले भी बदल चुकी है तस्वीर
Vice President Elections 2025: देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आज 9 सितंबर को संसद भवन में वोटिंग चल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वोट डाला है। आपको बता दें मतदान की प्रक्रिया सुबह 10 बजे से शुरू हो गई है। मुकाबला एनडीए के सीपी राधाकृष्णन (NDA VP Candidate CP Radhkrishna) और विपक्ष समर्थित बी सुदर्शन रेड्डी (INDIA B Sudarshan Reddy) के बीच है।
इस बार के चुनाव में भी क्रॉस-वोटिंग को लेकर खासी चर्चा हो रही है। ऐसे में इस बार चुनावी समीकरण को देखना दिलचस्प होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव के प्रोसेस और क्रॉस वोटिंग को समझिए
भारत में उपराष्ट्रपति (Vice President) का चुनाव संसद (Parliament) के दोनों सदनों के सांसद करते हैं। यह चुनाव गुप्त मतपत्र (secret ballot) से होता है। इसलिए कई बार सांसद पार्टी लाइन (party line) छोड़कर दूसरी तरफ वोट दे देते हैं। इसे क्रॉस-वोटिंग (cross-voting) कहा जाता है। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि चुनाव कैसे होता है और कब-कब क्रॉस-वोटिंग देखने को मिली।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है
उपराष्ट्रपति का चुनाव सिर्फ सांसद करते हैं। इसमें लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) दोनों के सांसद शामिल होते हैं। यहां तक कि राज्यसभा के नामित सदस्य (nominated members) भी वोट दे सकते हैं। चुनाव गुप्त मतपत्र (secret ballot) से होता है। सांसद अपनी पसंद (preference) लिखते हैं- पहला नंबर, दूसरा नंबर, तीसरा नंबर।
यह चुनाव प्रणाली एकल हस्तांतरणीय मत यानी single transferable vote- STV कहलाती है। इसमें अगर पहले नंबर की गिनती से कोई उम्मीदवार जीत का आंकड़ा (quota) पूरा नहीं कर पाता तो सबसे कम वोट पाने वाले के वोट ट्रांसफर (transfer) कर दिए जाते हैं।
यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत (majority) हासिल न कर ले।
क्रॉस-वोटिंग क्या है
क्रॉस-वोटिंग (cross-voting) का मतलब है कि कोई सांसद अपनी पार्टी के तय उम्मीदवार को छोड़कर किसी दूसरे को वोट दे दे।
यह संभव इसलिए होता है क्योंकि उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतपत्र (secret ballot) से होते हैं। इन चुनावों में व्हिप (whip) लागू नहीं होता और एंटी-डेफेक्शन कानून (anti-defection law) भी लागू नहीं होता। यानी सांसद पूरी तरह स्वतंत्र (independent) होते हैं।
कई बार व्यक्तिगत नाराजगी, समझौते या विचारधारा की वजह से सांसद क्रॉस-वोटिंग कर देते हैं।
भारत में कब-कब हुई क्रॉस-वोटिंग
भारत के उपराष्ट्रपति चुनावों में कई बार क्रॉस-वोटिंग दर्ज की गई है।
- 1997- कृष्णकांत (Krishan Kant) जब उपराष्ट्रपति चुने गए तब उन्हें तुस 441 वोट मिले। उस समय 46 मत अवैध थे, जो कुल वोटिंग का 6.05 प्रतिशत था।
- 2002- भैरों सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) जब उपराष्ट्रपति चुने गए तो उन्हें उम्मीद से ज्यादा वोट मिले। माना गया कि विपक्ष के कई सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की।
- 2007- मोहम्मद हामिद अंसारी (Mohammad Hamid Ansari) के चुनाव में उन्हें उनकी पार्टी की ताकत से 30 से ज्यादा वोट ज्यादा मिले। यह साफ इशारा था कि क्रॉस-वोटिंग हुई।
- 2017- वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) को 20 से ज्यादा वोट विपक्ष के खेमे से मिले। इसे उस चुनाव की सबसे बड़ी क्रॉस-वोटिंग कहा गया।
- 2022- जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को विपक्ष के कुछ सांसदों का समर्थन मिला। उनकी जीत का अंतर इतना बड़ा था कि क्रॉस-वोटिंग साफ दिखी।
भारत के उपराष्ट्रपतियों से जुड़ी कुछ रोचक बातें जानिए
भारत में उपराष्ट्रपति (Vice President) देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। यह पद सिर्फ राज्यसभा (Rajya Sabha) की अध्यक्षता ही नहीं करता बल्कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति (President) की जगह भी ले सकता है। भारतीय राजनीति इतिहास में अब तक कुल 18 उपराष्ट्रपति हुए हैं। इनमें से कुछ के जीवन से किस्से बहुत दिलचस्प हैं। आइए जानते हैं ऐसे उपराष्ट्रपतियों से जुड़ी रोचक बातों के बारे में।
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan)
भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षक (teacher) और दार्शनिक (philosopher) भी थे। उनकी जयंती 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के रूप में मनाई जाती है। यह परंपरा इसलिए शुरू हुई क्योंकि वे मानते थे कि शिक्षा ही समाज की सबसे बड़ी ताकत है।

डॉ. जाकिर हुसैन (Dr. Zakir Husain)
जाकिर हुसैन पहले मुस्लिम राष्ट्रपति (President) बने, लेकिन उससे पहले वे उपराष्ट्रपति (Vice President) रह चुके थे। वे जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) विश्वविद्यालय से जुड़े और शिक्षा सुधार (education reform) को लेकर जाने जाते हैं। खास बात यह रही कि राष्ट्रपति पद पर रहते हुए ही उन्होंने आखिरी सांस ली।

वी.वी. गिरी (V. V. Giri)
वी.वी. गिरी की कहानी सबसे अलग है। उन्होंने उपराष्ट्रपति पद छोड़कर 1969 में राष्ट्रपति चुनाव (Presidential election) लड़ा। वे निर्दलीय (independent) उम्मीदवार के तौर पर चुने गए और जीत गए। आमतौर पर ऐसे चुनाव बड़े दलों के उम्मीदवार ही जीतते हैं, लेकिन गिरी ने यह कारनामा कर इतिहास रच दिया।

बी.डी. जट्टी (B. D. Jatti)
बी.डी. जट्टी तब सुर्खियों में आए जब 1977 में वे कार्यवाहक राष्ट्रपति (acting President) बने। उस समय वे उपराष्ट्रपति के पद पर थे। अचानक राष्ट्रपति का पद खाली हो गया था और उन्होंने कई महीनों तक देश की जिम्मेदारी संभाली। इस घटना से स्पष्ट है कि उपराष्ट्रपति का पद सिर्फ प्रतीकात्मक (symbolic) नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर सबसे अहम भी हो सकता है।

कृष्ण कांत (Krishan Kant)
कृष्ण कांत 1997 से 2002 तक उपराष्ट्रपति रहे। वे पहले ऐसे उपराष्ट्रपति थे जिनका निधन कार्यकाल (tenure) के दौरान ही हो गया। यह घटना पहली बार हुई थी। उस समय संवैधानिक व्यवस्थाओं (constitutional arrangements) को लेकर काफी चर्चा हुई।

मोहम्मद हामिद अंसारी (Mohammad Hamid Ansari)
हामिद अंसारी विदेश सेवा (Indian Foreign Service) से जुड़े थे और वे दो बार लगातार उपराष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल 2007 से 2017 तक रहा। लगातार दो बार उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। वे विदेश नीति (foreign policy) और कूटनीति (diplomacy) के अच्छे जानकार माने जाते हैं।
एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu)
वेंकैया नायडू 2017 से 2022 तक उपराष्ट्रपति रहे। उनकी खास बात यह है कि वे पहले ऐसे उपराष्ट्रपतियों में से थे, जो स्वतंत्र भारत (independent India) में पैदा (1949) हुए थे। उनका राजनीतिक करियर (political career) आंध्र प्रदेश से शुरू हुआ और बाद में वे राष्ट्रीय राजनीति में पहुंचे।

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar)
जगदीप धनखड़ भारत के 14वें उपराष्ट्रपति (present Vice President) रहे। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (Governor) रहे। वहां रहते हुए उन्होंने कई बार राज्य सरकार से सीधा टकराव (clash) किया और इसी वजह से वे लगातार सुर्खियों में रहे।
उन्हें 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया। उनके इस इस्तीफे ने पूरे देश में खूब सुर्खियां बटोरीं।

FAQs
Q. भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद (Parliament) के दोनों सदनों यानी लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के सांसद करते हैं। राज्यसभा के नामित सदस्य भी वोट दे सकते हैं। चुनाव गुप्त मतपत्र (secret ballot) और एकल हस्तांतरणीय मत (single transferable vote-STV) प्रणाली से होता है।
Q. क्रॉस-वोटिंग (cross-voting) क्या होती है और क्यों होती है?
जब कोई सांसद अपनी पार्टी के तय उम्मीदवार को छोड़कर किसी दूसरे उम्मीदवार को वोट दे देता है तो उसे क्रॉस-वोटिंग कहते हैं। यह इसलिए संभव होता है क्योंकि इन चुनावों में व्हिप (whip) लागू नहीं होता और सांसद पूरी तरह स्वतंत्र (independent) होते हैं। कई बार व्यक्तिगत नाराजगी, समझौते या वैचारिक कारणों से सांसद ऐसा करते हैं।
Q. भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव में पहले कब-कब क्रॉस-वोटिंग हुई है?
2002 में भैरों सिंह शेखावत के चुनाव में, 2007 में हामिद अंसारी को अपेक्षा से अधिक वोट मिले, 2017 में वेंकैया नायडू को विपक्ष से 20 से ज्यादा वोट मिले और 2022 में जगदीप धनखड़ की भारी जीत में भी क्रॉस-वोटिंग साफ दिखी।
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देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए आज 9 सितंबर को संसद भवन में वोटिंग चल रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी अपना वोट डाल दिया है। आपको बता दें मतदान की प्रक्रिया सुबह 10 बजे से शुरू हो गई है। मुकाबला एनडीए के सीपी राधाकृष्णन (NDA VP Candidate CP Radhkrishna) और विपक्ष समर्थित बी सुदर्शन रेड्डी पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें।