Vice Chancellor removed: छत्तीसगढ़ सरगुजा के संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर के कुलपति प्रो. अशोक सिंह को हटा दिया गया है। यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी में अव्यवस्था और कुप्रशासन के चलते की गई है। राज्य सरकार ने धारा 52 की अधिसूचना का प्रकाशन कर यह कार्रवाई की है। राज्यपाल की ओर से अब नए कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी होगा, इसको लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है।
प्रदेाश् में दूसरी बार कुलपति को हटाया
जानकारी के अनुसार प्रो. अशोक सिंह ऐसे दूसरे कुलपति रहे हैं, जिन्हें धारा 52 के तहत हटाने (Vice Chancellor removed) की कार्रवाई की गई है। इससे पहले कांग्रेस सरकार में तत्कालीन कुलपति को भी धारा 52 के तहत पद से हटाया था। उस समय कुलपति का प्रभार तत्कालीन सरगुजा कमिश्नर को सौंपा गया था। इसके बाद प्रो. अशोक सिंह को कुलपति बनाया गया था।
सात महीने का बचा था कार्यकाल
प्रो. अशोक सिंह वाराणसी (Vice Chancellor removed) निवासी हैं। यूनिवर्सिटी में उनका कार्यकाल सात महीने का बाकी था। इससे पहले ही सरकार ने उन्हें हटा दिया। बताया जा रहा है कि प्रो. अशोक सिंह की नियुक्ति के बाद से ही समन्वय स्थापित नहीं हो पा रहा था। यूनिवर्सिटी में आंतरिक गुटबाजी चरम पर थी। बीजेपी सरकार बनने के बाद से विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने की मांग तेज हो गई थी।
कुलपति के विरुद्ध की शिकायत
कुलपति के विरुद्ध राज्य (Vice Chancellor removed) महिला आयोग में शिकायत की गई थी। इस मामले में आयोग ने नोटिस भेजा था। इतना ही नहीं सार्वजनिक रूप से कई बार जनप्रतिनिधियों ने विरोध जताया था। इसके साथ ही तत्कालीन कुलसचिव से भी उनका विवाद हुआ था, जो सार्वजनिक हो गया था। इसके बाद 3 अक्टूबर को ही राज्य सरकार उच्च शिक्षा विभाग की ओर से धारा 52 की अधिसूचना जारी की थी। इस नोटिफिकेशन के साथ ही कुलपति की सारी शक्तियां वापस ले ली गई थी।
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इन आरोपों को लेकर एक्शन
यूनिवर्सिटी में कुप्रशासन और अव्यवस्था के कारण की गई कार्रवाई।
विश्वविद्यालय में आंतरिक विवाद और समन्वय की कमी के चलते स्वस्थ शैक्षणिक व्यवस्था व प्रशासनिक बातावरण की कमी।
विश्वविद्यालय में विश्वसनीयता में गिरावट, छात्रों की दृष्टि से भी विश्वसनीयता में आई गिरावट।
इसलिए होता है धारा 52 का प्रयोग
छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय (Vice Chancellor removed) अधिनियम 1973 की धारा 52 के तहत राज्य सरकार अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकती है। इसके तहत किसी यूनिवर्सिटी में नियमितता, भ्रष्ट्राचार, आर्थिक गड़बड़ी या संचालन में लापरवाही की जाती है तो सरकार उस यूनिवर्सिटी के कुलपति को बर्खास्त या हटा सकती है।
इसके अलावा यदि सरकार को अहसास होता है कि यूनिवर्सिटी के प्रशासन को अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार नहीं चला सकते हैं तो वह अधिनियम की धारा 13, 14, 23 से 25 के प्रविधानों को लागू कर सकती है। इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद यह एक साल के लिए एक्टिव रहती है। राज्य सरकार के द्वारा इसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।
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